शिवसेना और तीर-कमान हाथ से निकलने के बाद उग्र तेवर में दिखे उद्धव ठाकरे, चुनाव आयोग को बताया पीएम मोदी का गुलाम, शिंदे को सिंबल चोर

चुनाव आयोग के फैसले से ठाकरे परिवार को जबर्दस्त झटका लगा था। शिवसेना का गठन बाला साहेब ठाकरे ने 1966 में किया था।

Dheerendra Gopal | Published : Feb 18, 2023 10:53 AM IST / Updated: Feb 18 2023, 04:29 PM IST

Shiv Sena row: शिवसेना नाम और तीर-कमान हाथ से निकल जाने के बाद शनिवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मातोश्री के बाहर शक्ति प्रदर्शन किया। भारी संख्या में जुटे समर्थकों और कार्यकर्ताओं को धैर्य रखने की अपील करने के साथ चुनाव आयोग पर जमकर हमला बोला। ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुलाम बन चुका है। वह केंद्र सरकार के इशारे पर फैसले दे रहा है। बीएमसी चुनावों के ऐन वक्त पहले और बाला साहेब ठाकरे द्वारा गठित शिवसेना पार्टी की कमान हाथ से जाने के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे लोगों के बीच में थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से चुनाव की तैयारियां तेज करने की अपील की।

पिता की तरह कार की सनरूफ पर खड़े होकर लोगों को किया संबोधित

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ठाकरे परिवार का निवास मातोश्री के बाहर भारी भीड़ शनिवार को जुटी थी। अपने पिता बाल ठाकरे की तरह उद्धव ठाकरे भी भीड़ को संबोधित करने के लिए अपनी कार के सनरूफ पर खड़े हो गए। कार पर खड़े होकर लोगों को संबोधित किया। उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी का चुनाव चिन्ह चोरी हो गया है और चोर को सबक सिखाने की जरूरत है। आप सभी लोग बीएमसी चुनाव में जुट जाइए। यह चुनाव आपके धैर्य की जीत होगी।

एक दिन पहले ही चुनाव आयोग ने शिंदे के पक्ष में दिया था फैसला

शुक्रवार को चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न तीर-कमान के इस्तेमाल का अधिकार एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया था। शिंदे गुट को असली शिवसेना मानते हुए चुनाव आयोग ने ठाकरे पर पार्टी के संविधान में छेड़छाड़ करने का भी आरोप लगाया था। चुनाव आयोग के फैसले से ठाकरे परिवार को जबर्दस्त झटका लगा था। शिवसेना का गठन बाला साहेब ठाकरे ने 1966 में किया था। 

आठ महीने पहले एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में विद्रोह कर दिया था। अधिकतर पार्टी विधायकों और सांसदों को अपने पक्ष में करते हुए महा विकास अघाड़ी की सरकार गिरा दी थी। इसके बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था। फिर एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर महाराष्ट्र में सरकार बना ली। इसके बाद शिंदे ने शिवसेना पर दावा किया था। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था। कोर्ट ने चुनाव आयोग को फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया था।

पार्टी के नियंत्रण के लिए लंबी लड़ाई पर 78 पन्नों के आदेश में चुनाव आयोग ने कहा कि शिंदे को 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पार्टी के 76 प्रतिशत विजयी वोटों के साथ विधायकों का समर्थन प्राप्त था। चुनाव आयोग ने कहा कि उद्धव ठाकरे गुट 'शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे' नाम और पिछले साल आवंटित चुनाव चिह्न 'मशाल' का इस्तेमाल कर सकता है।

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