अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) की गिरफ्तारी पर पंजाब पुलिस के आईजी सुखचैन सिंह गिल ने कहा कि हमने पुख्ता खुफिया सूचना के आधार पर कार्रवाई की। पुलिस ने गांव को घेर लिया था। अमृतपाल के पास कोई चारा नहीं था।
चंडीगढ़। खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) रविवार सुबह 6:45 बजे पंजाब पुलिस (Punjab Police) ने गिरफ्तार कर लिया। वह 18 मार्च से फरार चल रहा था। इस संबंध में पहले खबर आई कि अमृतपाल ने मोगा जिले के रोड़ेवाल गुरुद्वारा में सरेंडर किया। इसपर पंजाब के आईजीपी सुखचैन सिंह गिल ने कहा कि अमृतपाल के पास कोई चारा नहीं था। पुलिस ने गांव को घेर लिया था।
सुखचैन सिंह गिल ने कहा, "अमृतपाल के खिलाफ NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कोर्ट ने वारंट जारी किया था। आज सुबह करीब 6:45 बजे रोड़े गांव से उसे गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में आगे कानून के अनुसार कार्रवाई होगी। लोगों ने इस दौरान शांति और सद्भाव बनाए रखा। पूरे राज्य में कभी से कोई अप्रिय घटना की जानकारी नहीं आई। इसके लिए मैं पंजाब पुलिस की ओर से उन्हें धन्यवाद देता हूं। किसी को पंजाब का माहौल खराब करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
पुलिस को मिली थी पुख्ता खुफिया जानकारी
आईजी ने कहा, "पंजाब पुलिस को खुफिया जानकारी मिली थी। इसके आधार पर कार्रवाई की गई। खबर मिली कि अमृतपाल रोड़े गांव में मौजूद है। इसके बाद सभी रास्तों की नाकाबंदी कर गांव को घेरा गया। वह गुरुद्वारा साहिब के अंदर था। गुरुद्वारा साहिब की पवित्रता बनाए रखना हमारा फर्ज है। गुरुद्वारा साहिब की मर्यादा के किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं हो सकती। इसके चलते संयम से काम लिया गया।"
उन्होंने कहा, "अमृतपाल को मैसेज चला गया कि वह सारी तरफ से घिर चुका है। उसके पास भागने का कोई रास्ता नहीं है। उसे पता था कि अब कोई चारा नहीं बचा है। गिरफ्तारी के बाद उसे डिब्रूगढ़ भेज दिया गया। अमृतपाल की गिरफ्तारी के लिए पंजाब पुलिस लगातार कोशिश कर रही थी। पुलिस के सभी विंग पूरे समन्वय से काम कर रहे थे। पंजाब पुलिस राज्य में शांति बनाए रखने के लिए कृतसंकल्पित है। पंजाब पुलिस ने लॉ एंड ऑर्डर को पूरी तरह मेंटेन किया है।"
अजनाला थाना पर किया था अमृतपाल के समर्थकों ने हमला
गौरतलब है कि 'वारिस पंजाब दे' संगठन का प्रमुख अमृतपाल 36 दिन बाद पकड़ा गया। 23 फरवरी को अमृतपाल के समर्थकों ने अमृतसर जिले के अजनाला थाना पर हमला किया था। पुलिस ने अमृतपाल के एक करीबी को गिरफ्तार किया था। इसके खिलाफ बंदूकों और तलवारों से लैस अमृतपाल के सैकड़ों समर्थकों ने थाना पर हमला किया था। उन्होंने पुलिसकर्मियों से मारपीट की, जिससे आठ जवान घायल हो गए थे।
इसके बाद 18 मार्च को पंजाब पुलिस ने अमृतपाल की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की थी। अमृतपाल बच निकला था। इसके बाद से वह पुलिस को चकमा दे रहा था। पंजाब पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए अभियान चला रहा थी।