लोकसभा चुनाव से पहले NDA में अकाली दल की हो सकती है वापसी, भाजपा के साथ चल रही बात

लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के बीच फिर से गठबंधन हो सकता है। अकाली दल पहले एनडीए में शामिल था। वह 2020 में एनडीए से अलग हो गया था।

 

Vivek Kumar | Published : Mar 19, 2024 1:18 PM IST / Updated: Mar 19 2024, 06:50 PM IST

चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रचार अभियान शुरू हो गया है। इस बीच लोकसभा की 13 सीटों वाले राज्य पंजाब में राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव होने जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल (SAD) की वापसी NDA में हो सकती है। इसके लिए SAD और भाजपा के बीच बातचीत चल रही है। पंजाब में 1 जून को मतदान होने वाला है।

भाजपा नेता एसएस चन्नी ने एक न्यूज चैनल को बताया कि पंजाब में दोनों पार्टियों के बीच बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा, "बातचीत चल रही है। इसमें कुछ समय लगेगा। अकाली दल 22 मार्च को कोर कमेटी की बैठक करेगा। इसके बाद भाजपा और SAD के बीच औपचारिक बैठक होगी। भाजपा नेतृत्व द्वारा गठबंधन पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।"

अकाली दल के सीनियर नेता और पार्टी महासचिव डॉ दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि चंडीगढ़ में पार्टी के कोर कमेटी की बैठक होगी। इस दौरान चुनावी गठबंधन सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी। SAD के करीबी सूत्रों के अनुसार किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून और अन्य मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। दूसरी ओर सिख कैदियों की रिहाई जैसे अनसुलझे मुद्दे हैं। इनके चलते पार्टी भाजपा के साथ फिर से गठबंधन करने में झिझक रही थी।

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 8 सीटों पर मिली थी जीत

गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से आठ पर जीत मिली थी। भाजपा और शिअद को दो-दो सीटें मिली थी। एक सीट आम आदमी पार्टी (आप) को मली थी। इसके बाद पंजाब में विधानसभा के चुनाव हुए तो आप को बड़ी जीत मिली और राज्य में उसकी सरकार बन गई।

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2020 में एनडीए से अलग हुआ था अकाली दल

सितंबर 2020 में शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए विवादास्पद कृषि कानूनों के कारण भाजपा से नाता तोड़ लिया था। वह एनडीए से अलग हो गया था। बाद में किसानों के विरोध के चलते सरकार ने कृषि कानूनों को रद्द कर दिया। इसके बाद शिअद ने कई मौकों पर एनडीए को समर्थन दिया। 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) मामले में एनडीए को अकाल दल का साथ मिला है।

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