
Udham Singh Freedom Fighter: 31 जुलाई को हर साल क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी शहीद उधम सिंह का शहादत के दिवस मनाया जाता है। उन्हें 1919 में हुए भीषण जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए जाना जाता है।
13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में एक शांतिपूर्ण सभा पर ब्रिटिश सैनिकों ने हमला किया था। इस दौरान बिना किसी चेतावनी के उन पर गोलियां बरसाई गईं थी। उस समय पंजाब के ब्रिटिश गवर्नर माइकल ओ'डायर ने इस क्रूर हमले का समर्थन किया था। जलियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से प्रसिद्ध इस दुखद घटना में 1,000 से ज़्यादा निर्दोष लोग मारे गए और 1,200 से ज़्यादा घायल हुए। कई लोग भागने की कोशिश करते हुए या कुएं में कूदकर जान दे दी।
उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर, 1899 को संगरूर जिले के सुनाम में शेर सिंह के रूप में हुआ था। उनका बचपन कठिनाइयों भरा रहा, उन्होंने अपने माता-पिता और बड़े भाई को बचपन में ही खो दिया था। जिसके बाद वो अमृतसर के एक अनाथालय में पले-बढ़े और उन्होंने स्वयं जलियांवाला बाग हत्याकांड की भयावहता देखी। इस अनुभव ने उनमें न्याय पाने की इच्छा जगाई।
उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी, भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी समूह से प्रेरणा मिली। उधम सिंह भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय हो गए। अंग्रेजों से बचने और अपने आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने के लिए, उन्होंने अक्सर अलग-अलग नामों से दुनिया भर की यात्रा की। ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी लड़ाई के लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
वर्षों की योजना के बाद, उधम सिंह ने आखिरकार कार्रवाई की। 13 मार्च, 1940 को लंदन में, उन्होंने माइकल ओ'डायर की गोली मारकर हत्या कर दी। उधम सिंह ने गिरफ्तारी का विरोध नहीं किया और अपने मुकदमे का इस्तेमाल ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए किया। उन्हें दोषी पाया गया और 31 जुलाई, 1940 को लंदन की एक जेल में फांसी दे दी गई।
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उनके बलिदान ने उन्हें शहीद बना दिया। 1974 में, उनका पार्थिव शरीर भारत वापस लाया गया और जलियांवाला बाग में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। उन्होंने जो नाम चुना, "राम मोहम्मद सिंह आज़ाद", यह दर्शाता है कि भारत में सभी धर्मों का स्वतंत्रता के लिए एकजुट होना कितना महत्वपूर्ण था। उत्तराखंड के एक जिले का नाम उनके नाम पर उधम सिंह नगर रखा गया है। पंजाब और हरियाणा जैसे कई राज्यों में भी भारत की स्वतंत्रता में उनके महान योगदान को याद करने के लिए उनके शहीदी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश होता है।
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