जोधपुर. राजस्थान की धरती पर एक और प्रेरणादायक कहानी लिखी गई जब 31 वर्षीय हितेशी बोराणा ने अपने अंगदान के माध्यम से कई जिंदगियां बचा लीं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर की पूर्व नर्सिंग छात्रा हितेशी का जीवन भले ही एक सड़क दुर्घटना में समाप्त हो गया, लेकिन उनकी विरासत और दयालुता अनगिनत लोगों की उम्मीद बन गई।
हितेशी, जो एम्स राजकोट में नर्सिंग ऑफिसर के पद पर कार्यरत थीं, 12 दिसंबर को एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। डॉक्टरों ने 21 दिसंबर को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद उनके परिवार ने समाज के लिए एक प्रेरक कदम उठाते हुए उनके अंगदान का फैसला किया।
एम्स जोधपुर में हितेशी की दो किडनी और लिवर को डोनेट किया गया। इनमें से एक किडनी और लिवर जोधपुर में ही जरूरतमंद मरीजों को ट्रांसप्लांट किए गए, जबकि दूसरी किडनी ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से एसएमएस अस्पताल जयपुर भेजी गई। लिवर एक 40 वर्षीय पुरुष को ट्रांसप्लांट किया गया, जिनका लिवर हेपेटाइटिस के कारण खराब हो गया था। वहीं, किडनी एक 38 वर्षीय महिला को दी गई, जिनकी किडनी ब्लड प्रेशर के चलते खराब हो चुकी थी।
हितेशी के माता-पिता, लक्ष्मी नारायण बोराणा और चंद्रकला, जिन्होंने खुद शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में अपना जीवन समर्पित किया है, ने बेटी के अंगदान के फैसले से समाज को बड़ा संदेश दिया। इस कदम ने न केवल अंगदान के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि एक व्यक्ति का निर्णय कितने लोगों की जिंदगी बदल सकता है।
एम्स जोधपुर में अब तक 60 किडनी और 15 लिवर ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं। हितेशी का अंगदान इस सूची में एक और प्रेरणादायक कहानी जोड़ता है। उनके इस साहसी और मानवतावादी कदम ने साबित किया है कि मौत के बाद भी जीवन को आगे बढ़ाया जा सकता है। हितेशी के परिवार का कहना है कि गुजरात के साथ-साथ उसे राजस्थान के लोग भी याद रखेंगे। बेटी की यह विरासत हमारे परिवार को नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है।