
चित्तौड़गढ़, राजस्थान: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के बड़ीसादड़ी उपखंड के देवदा गांव में बीते तीन दिनों से सन्नाटा पसरा हुआ है। 470 साल पुराने इस गांव के लोग सामूहिक रूप से अपने घरों को छोड़कर खेतों में रहने चले गए हैं। ग्रामीणों का मानना है कि उनके गांव पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव है, जिसके कारण वर्षों से विकास अवरुद्ध है।
ग्रामीणों के अनुसार, जब भी कोई व्यक्ति अपने मकान की नींव की खुदाई करता है, तो वहां से हड्डियां, कोयला, कंकाल और मिट्टी के बर्तन निकलते हैं। लोगों को विश्वास है कि यही कारण है कि गांव में खुशहाली नहीं आ पा रही है। 470 वर्षों में यहां कोई भी सरकारी नौकरी हासिल नहीं कर पाया है, जबकि कई युवाओं ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है।
इस संकट से उबरने के लिए गांव के सभी समाजों ने मिलकर 15 लाख रुपये की लागत से एक हनुमान मंदिर बनवाया है। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले गांव के सभी लोग तीन दिनों के लिए अपने घरों को पूरी तरह से छोड़कर खेतों में रहने लगे। इस दौरान कोई भी अपने घर के दरवाजे तक नहीं खोलेगा।
30 मार्च को बैंड-बाजों और धार्मिक जुलूस के साथ ग्रामीण अपने गांव में वापस लौटेंगे। हनुमान मंदिर में 8 दिनों तक धार्मिक अनुष्ठान और भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पूरे गांव के लिए महाप्रसाद की व्यवस्था की गई है।
यह घटना न केवल ग्रामीणों की आस्था को दर्शाती है बल्कि यह भी सवाल खड़ा करती है कि आखिर क्यों इस गांव का विकास वर्षों से रुका हुआ है? क्या यह सिर्फ एक संयोग है या वास्तव में यहां कोई अदृश्य शक्ति प्रभाव डाल रही है? यह एक रहस्यमयी गुत्थी है, जिसका जवाब विज्ञान और आस्था के बीच कहीं खोया हुआ है!
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