
अजमेर (Ajmer News). प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्र इन दिनों राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित पुष्कर क्षेत्र में शिव महापुराण की कथा कर रहे हैं और हर रोज हजारों की संख्या में लोग इस कथा को सुन रहे हैं। सवेरे कथा शुरु होने से कई घंटों पहले ही पांडाल ठसाठस भर जाता है। लेकिन अब दो दिन से इस कथा के बीच में नई बहस शुरू हो गई है।
सावन शुरू होते ही मंदिरों में जाने के लिए लागू हुआ ड्रेस
दरअसल सावन शुरु होने के साथ ही राजस्थान के कई बड़े मंदिरों में ड्रेस कोड लागू हो गया है। यानि मंदिर में एंट्री करने वाले लोग शॉर्ट ड्रेस नहीं पहनेंगे। नेकर, हाफ पैंट, बरमुड़ा, शॉर्ट जींस, शॉर्ट शर्ट और टीशर्ट, नाइट सूट और अन्य तरह की कटी फटी या शॉर्ट ड्रेस पहनकर मंदिरों में एंट्री नहीं ले पाएंगे। ऐसे मंदिरों में उदयपुर जिले का बरसों पुराना और प्रसिद्ध भगवान जगदीश महाराज का मंदिर भी शामिल हो गया है। इससे पहले जयपुर के गोविंद देव मंदिर और उदयपुर के ही चारभुजा मंदिर में भी ऐसे ही पोस्टर लगाए जा चुके हैं। अब आज से जयपुर के बड़े शिव मंदिर यानि झारखंड महादेव मंदिर में भी इसी तरह का ड्रेस कोड शुरु कर दिया गया है। इनके पीछे मंदिर प्रबंधनों का कहना है कि मंदिर आस्था का विषय है इसलिए सही तरीके से आना जरूरी है।
ड्रेस कोड मामले पर प्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्र का बयान आया सामने
अब इस विषय पर पंडित प्रदीप मिश्र का बयान आया है कि कुछ विधर्मी प्रवृति के लोग खासतौर से बच्चों को मंदिरों से दूर करने के लिए इस तरह की यह साजिश रच रहे हैं। मंदिरों में अगर बच्चे ही नहीं जाएंगे तो वे धर्म के बारे में कैसे जान पाएंगे। यह गलत है इसका विरोध होना जरूरी है। अब यह पैरेंट्स और मंदिर जाने वाले भक्तों पर निर्भर करता है कि वे इन आदेशों की पालना कैसे कर पाते हैं। इनमें जो भी मंदिरों ने आदेश निकाले हैं वे सारे मंदिर निजी हैं।
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