
अलवर (alwar news). राजस्थान में हाल ही में दसवीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम आया है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने परीक्षा परिणाम 2 दिन पहले ही जारी किया है। 2 दिन में लगातार उन छात्रों के बारे में खबरें आ रही है जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में सफलता के नए आयाम रखे हैं । राजस्थान में करीब 90 फ़ीसदी छात्र परीक्षाओं में पास हो गए हैं। लेकिन राजस्थान में एक ऐसा भी सरकारी स्कूल है जिसमें दसवीं क्लास के सारे के सारे बच्चे फेल हो गए हैं ,एक बच्चे के सप्लीमेंट्री नंबर आए हैं । यह स्कूल अलवर जिले के किशनगढ़ बास गांव में स्थित है। अब गांव के लोगों ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन किया है। सरकार से मांग की है कि वह इस पूरे घटनाक्रम की जांच कराएं कि उनके बच्चे क्यों फेल हो गए ।
अलवर के किशनगढ़ बास के राजकीय संस्कृत स्कूल का है मामला
उधर स्कूल के हेड मास्टर का कहना है कि ग्रामीण गलत आरोप लगा रहे हैं। हमने बच्चों को पढ़ाया था , लेकिन वह पढ़ नहीं पा रहे थे । यह पूरा घटनाक्रम किशनगढ़ बास गांव में रायबिया की ढाणी में स्थित राजकीय संस्कृत प्रवेशिका स्कूल का है। स्कूल के हेड मास्टर कैलाश चंद्र हैं। उनका कहना है कि स्कूल में 15 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं और लगभग सभी पर शिक्षक भी हैं। यह स्कूल 2021 में ही क्रमोन्नत हुआ है। इस स्कूल में कक्षा दसवीं में 11 छात्र पढ़ रहे हैं । इन 11 छात्र में से 10 फेल हो गए हैं। एक छात्र सप्लीमेंट्री आया है।
स्टूडेंट के परिजनों ने पढ़ाई नहीं कराने के लगाए आरोप
छात्रों से बातचीत करने के बाद उनके परिजनों और गांव के लोगों ने स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाए हैं कि दसवीं में पूरे साल कोई पढ़ाई ही नहीं करवाई गई। दसवीं कक्षा में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है, जिन शिक्षकों को भेजा गया उनको दसवीं की पढ़ाई के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। ऐसे में स्कूल प्रबंधन को सभी बातों के बारे में जानकारी थी, लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने ध्यान नहीं दिया और अब हमारे बच्चे तो फेल हो गए। इससे हमारे गांव का नाम भी बदनाम हो गया। गांव के लोगों ने स्कूल के खिलाफ प्रदर्शन किया है।
50 हजार रुपए की सैलरी वाले टीचर का कारनामा
सोमवार के दिन जिला शिक्षा अधिकारी को इस बारे में जानकारी भी भेजी गई है और जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि मामला गंभीर है। वह इस मामले की जरूर जांच कराएंगे। लेकिन इस घटना ने यह साबित कर दिया कि अभी भी राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्कूलों का स्तर बेहद दोयम दर्जे का है, जबकि सरकार हर साल स्कूलों पर अरबों रुपया खर्च करती है। दसवीं क्लास के छात्रों को पढ़ाने के लिए सेकंड ग्रेड शिक्षकों को रखा जाता है उनकी पगार 45 हजार से 50 हजार रुपए तक होती है। स्कूल में सेकंड ग्रेड के 5 टीचर है, लेकिन उसके बावजूद भी पूरी की पूरी क्लास फेल हो गई।
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