
bakra eid mubarak 2025 : राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह सूफी आस्था और गहरी मान्यताओं का केंद्र है। लाखों जायरीन हर साल यहां अकीदत के फूल चढ़ाने आते हैं, लेकिन इस पवित्र स्थान का एक खास रहस्य भी है – जन्नती दरवाजा। दरगाह में मौजूद यह विशेष दरवाजा आम दिनों में बंद रहता है और साल में केवल चार बार ही खोला जाता है। मान्यता है कि इस दरवाजे से होकर गुजरने वाला शख्स ख्वाजा साहब की रहमत से जन्नत का हकदार बनता है। यही वजह है कि जब भी यह दरवाजा खुलता है, हजारों अकीदतमंद दरगाह में उमड़ पड़ते हैं।
यह जन्नती दरवाजा गरीब नवाज के उर्स के दौरान छह दिनों के लिए खुलता है। इसके अलावा ईद उल फितर, ईद उल अजहा और हजरत उस्मान हारूनी (ख्वाजा साहब के पीर) के उर्स पर भी यह दरवाजा एक-एक दिन के लिए खुलता है। इन खास मौकों पर जायरीन घंटों तक कतार में खड़े रहकर इस पवित्र दरवाजे से होकर मजार शरीफ की जियारत करते हैं।
जो न पहुंच सकें उनके लिए भी है रास्ता कई लोग जो किसी कारणवश दरगाह इन अवसरों पर नहीं आ पाते, उनके लिए भी एक परंपरा है। वे अपनी मन्नत एक धागे, चिट्ठी या दुआ की शक्ल में दरगाह भिजवाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब मन्नत पूरी होती है, तो दरगाह आकर वह धागा खोलना और शुक्राना अदा करना होता है।
आस्था और रहस्य का संगम जन्नती दरवाजे से जुड़ी मान्यताएं सिर्फ एक धार्मिक विश्वास नहीं हैं, बल्कि यह सूफी संस्कृति की उस परंपरा का हिस्सा हैं जहां आत्मा की सच्ची लगन और श्रद्धा को सबसे ऊपर माना जाता है। यही कारण है कि यह दरवाजा लोगों के दिलों में रहस्य और आस्था दोनों का प्रतीक बन चुका है।
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