बाड़मेर में ताबही के बीच दिखा माता के मंदिर का स्वर्ग जैसा नजारा, दिल जीत लेगा रेगिस्तान का ये Video

बिपरजॉय तूफान के चलते राजस्थान में तबाही मची हुई है। बाड़मेर में इतनी भयानक बारिश हुई कि हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। घर-अस्पताल होटल और रेलवे स्टेशन तक डूब गए। इसी बीच बाड़मेर जिले में विरात्रा माता मंदिर का एक शानदार वीडियो वायरल हो रहा है।

बाड़मेर (राजस्थान). बाड़मेर तूफान का सबसे ज्यादा असर राजस्थान के बाड़मेर जिले पर देखने को मिला है । हालात यह हो गए हैं कि बाड़मेर जिले में सबसे ऊंचाई पर स्थित विरात्रा माता का मंदिर भी इस तूफान की चपेट में आया है । समुद्र तल से करीब 1100 ऊंचाई पर स्थित माता के इस मंदिर में पहुंचने के लिए 1210 सीढ़ियों को पार करना पड़ता है। पहाड़ और पक्की बालू के पर्वतों के बीच में स्थित माता के इस मंदिर में पहुंचने के लिए भक्तों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। लेकिन अब इस मंदिर का नजारा हिल स्टेशन सा नजर आ रहा है । आसपास के क्षेत्र में होने वाली सारी बारिश मंदिर की सीढ़ियों से नीचे उतरती हुई ऐसी लग रही है मानो दूध की नदी बह रही हो ।

राजस्थान के बाड़मेर जिले में विरात्रा माता का मंदिर....

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स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर में इस तरह का नजारा सालों बाद देखने को मिला है । मंदिर बाड़मेर शहर से करीब 55 किलोमीटर दूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है। लेकिन माता के मंदिर में भक्तों का रेला लगा ही रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर का इतिहास महाराजा विक्रमादित्य के इतिहास के समय का है। उस समय प्राचीन देवी मां हिंगलाज माता, महाराजा विक्रमादित्य की साधना से खुश होकर उनके लिए प्रकट हुई थीं।

बड़ी चमत्कारिक है इस मंदिर की कहानी

कहा जाता है कि विक्रमादित्य माता के अंश को अपने साथ ले जाना चाह रहे थे ताकि उन्हें दूसरी जगह भी स्थापित किया जा सके । लेकिन माता ने यह कहा कि जहां तुम ने पीछे मुड़कर देखा वहीं पर मैं स्थापित हो जाऊंगी । उस समय उज्जैन से रवाना होकर महाराज विक्रमादित्य दूसरे स्थान पर जा रहे थे। लेकिन कुछ समय के लिए बाड़मेर जिले मे रुके। यहां पर महाराज विक्रमादित्य को दिशा भ्रम हो गया गलती से उन्होंने पीछे मुड़कर देख लिया और मां हिंगलाज यहीं पर स्थापित हो गई ।

विरात्रा माता के मंदिर पर दिखता है दूध का झरना

माता का नाम वांगल विरात्रा माता रखा गया । धरती और समुद्र तल से करीब 11 फीट की ऊंचाई पर मंदिर का निर्माण की शर्त पहले ही रख दी गई थी और इसी शर्त के आधार पर 1100 सौ फीट से भी ज्यादा ऊंचाई पर यह मंदिर स्थापित है। मंदिर पर पहुंचने के लिए 1200 सौ सीढ़ियां चढ़ने होती है । इन सीडीओ से उतरता हुआ पानी अक्सर दूध का झरना दिखाई देता है।

वीडियो में देखिए रेगिस्तान में दिखा हिल स्टेशन जैसा नजारा…

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