बाड़मेर (राजस्थान). बाड़मेर जिले की कलेक्टर टीना डाबी अपने अधिकारियों को लेकर कुछ टेंशन में है । एक ही अधिकारी की तीन दिन के अंदर दूसरी शिकायत आई है। राजस्थान के बाड़मेर जिले के रामसर क्षेत्र में भू-माफियाओं और सरकारी अधिकारियों की कथित मिलीभगत से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है। रामसर के एसडीएम अनिल जैन पर आरोप है कि उन्होंने किसानों की जमीन सस्ते दामों पर खरीदकर सोलर कंपनियों को महंगे दामों पर बेचने का काम किया। इसके साथ ही गागरिया गांव के करीब 200 परिवारों को बेघर करने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है।
गागरिया गांव के दर्जनों ग्रामीणों ने मंगलवार को बाड़मेर की जिला कलेक्टर टीना डाबी के कार्यालय पहुंचकर इस मामले में ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों का कहना है कि वे कई दशकों से उस जमीन पर रह रहे हैं, जहां अब उन्हें अवैध कब्जेदार बताया जा रहा है। स्थानीय खातेदारों से जमीन खरीदने के बाद इसे राजस्व विभाग ने आबादी क्षेत्र घोषित कर दिया था। कई ग्रामीणों ने इन जमीनों पर पट्टे बनवाकर बैंकों से ऋण भी लिया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि एसडीएम अनिल जैन ने भू-माफियाओं के साथ मिलकर न्यायालय में लंबित प्रकरण में पक्षपातपूर्ण फैसला करवाया है। इसके तहत 400 से अधिक घरों की जमीन को खातेदारी भूमि घोषित कर ग्रामीणों को नोटिस जारी कर दिया गया है। नोटिस में कहा गया है कि वे अपनी जमीन खाली करें अन्यथा उनके घर तोड़ दिए जाएंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि वे इस जमीन पर 50-70 वर्षों से रह रहे हैं और इसे वैध रूप से खरीदा है। इसके बावजूद प्रशासन ने बिना जांच किए भू-माफियाओं के पक्ष में फैसला सुनाया। अब इन परिवारों को बेघर होने का डर सता रहा है। ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला तो वे आमरण अनशन और विरोध प्रदर्शन करेंगे।
एसडीएम अनिल जैन पहले भी विवादों में रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में किसानों की जमीन कौड़ियों के भाव खरीदकर सोलर कंपनियों को लीज पर देने के मामले में उनका नाम आ चुका है। इस मामले में सरकार और उच्च अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। वहीं, स्थानीय विधायक और मंत्री इस पर विस्तृत जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं। शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है। सीमावर्ती क्षेत्र में जमीन विवाद से जुड़े इस मामले ने प्रशासन और भू-माफियाओं की मिलीभगत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द इस पर सख्त कार्रवाई करे।