भरतपुर. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन पहले शनिवार को भरतपुर के 'अपना घर' आश्रम में एक भावुक घटना घटी, जिसने सभी की आंखों में आंसू ला दिए। 5 साल बाद, मानसिक बीमार हालत में गुजरात के सूरत से घर से निकलीं गीता देवी और उनके बेटे सुमित का मिलन हुआ। यह मिलन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर और भी विशेष बन गया।
भरतपुर रेलवे स्टेशन से 'अपना घर' आश्रम पहुंची
5 साल पहले, गीता देवी मानसिक स्थिति बिगड़ जाने के कारण बेसुध हालत में घर से निकल गई थीं। 6 मई, 2019 को उन्हें भरतपुर रेलवे स्टेशन से 'अपना घर' आश्रम लाया गया, जहां उनका उपचार शुरू किया गया। आश्रम के सेवा और उपचार के बाद, गीता देवी के स्वास्थ्य में सुधार हुआ और उन्होंने अपना पता बताया। इसके बाद आश्रम की पुनर्वास टीम ने गीता देवी के घर का पता तालंगपुर, सूरत, गुजरात में संबंधित पुलिस थाना को सूचित किया।
गुजरात से परिजन पहुंचे भरतपुर
पुलिस ने गीता देवी के परिजनों को उनकी मां के जीवित और स्वस्थ होने की सूचना दी। सूचना मिलते ही शनिवार को गीता देवी के बेटे सुमित, उनके भाई नंदलाल गुप्ता और बहन संगीता गुप्ता 'अपना घर' आश्रम पहुंचे। आश्रम में जब मां और बेटे की मुलाकात हुई, तो दोनों एक-दूसरे से लिपटकर फफक पड़े और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। इस भावुक दृश्य को देखकर सभी की आंखें नम हो गई।
मां के घर से जाते ही पिता का हो गया निधन
सुमित ने बताया कि 5 साल पहले जब उसकी मां घर से निकली थीं, उसकी उम्र केवल 12 साल थी। मां के घर से निकलने के 15 दिन बाद ही उसके पिता का निधन हो गया। माता-पिता के चले जाने के बाद उसका जीवन अंधकारमय हो गया था।
पांच साल बाद फिर सूरत के इस परिवार में लौटी खुशियां
गीता देवी के भाई नंदलाल गुप्ता ने बताया कि गीता देवी के दो बेटे और एक बेटी है। बड़ी बेटी की शादी उनके सामने ही हो गई थी। सुमित ने मेहनत-मजदूरी करके अपने और छोटी बहन का भरण-पोषण किया और उसकी शादी करवाई। अब मां के मिलन से सुमित के जीवन में खुशियों की वापसी हो गई है। 'अपना घर' आश्रम की पुनर्वास प्रक्रिया पूरी करने के बाद सुमित अपनी मां गीता देवी को अपने साथ सूरत ले गया।