
भरतपुर. मंदिर और मस्जिद,,जब भी आप यह दोनों शब्द सुनते हैं तो आपको याद आता है इन दोनों नाम को लेकर लोगों के बीच होने वाले विवाद। लेकिन जब भी राजस्थान में इन दोनों का नाम साथ लिया जाता है तो इसका मतलब होता है गंगा जमुनी तहजीब.…क्योंकि राजस्थान के भरतपुर की जामा मस्जिद और गंगा महारानी का मंदिर आपसी भाईचारे की मिसाल पेश करता है। पूरे उत्तर भारत में गंगा माता का मंदिर भरतपुर में है। जिसका निर्माण राजा बलवंत सिंह के द्वारा करवाया गया था। इन्हीं राजा के द्वारा यहां से 500 मीटर की दूरी पर मस्जिद का निर्माण भी करवाया गया।
दिल्ली की जामा मस्जिद की तर्ज पर इस मस्जिद का निर्माण हुआ जिसे तैयार होने में करीब 70 साल का समय लग गया। इस मस्जिद के मुख्य दरवाजे को बुलंद दरवाजे की तरह कुरान की आयतों से उकेरा गया है। मस्जिद का निर्माण भी लाल पत्थर से करवाया गया है।
वहीं यहां पर गंगा माता का जो मंदिर है उसका निर्माण राजा ने इसलिए करवाया क्योंकि राजा बलवंत सिंह के संतान नहीं हो रही थी इसलिए उन्होंने हरिद्वार में जाकर गंगा मैया से मन्नत मांगी। जब उन्हें संतान हुई तो मंदिर का निर्माण भरतपुर में करवाया गया। करीब पांच पीढ़ियों ने इस मंदिर को तैयार किया। इस मंदिर में भक्तों को गंगाजल प्रसाद के रूप में मिलता है। यहां गंगा नदी से जल लाया जाता है। एक बार में यह बनाए गए एक कुंड में 15000 लीटर गंगा जल आता है। जो करीब एक साल चलता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर और मस्जिद दोनों के नाम पर कभी भी किसी को लड़ना झगड़ना तो दूर बहस करते हुए भी नहीं सुना। सभी आपस में एकसाथ मिलजुल कर रहते हैं।
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