राजस्थान में भक्तों की अनोखी भक्तिः मन्नत पूरी हुई तो भगवान सांवलिया को चढ़ा दिया 1 किलो चांदी से बना स्कूटर

राजस्थान के चित्तोड़गढ़ शहर से अनोखा मामला सामने आया है। यहां तीन भक्तों ने अपनी मांग पूरी होने के बाद भगवान सांवलियां जी को 1 किलो चांदी से बना स्कूटर चढ़ाया है। बिजनेस में अच्छा प्रॉफिट होने के बाद तीनो बिजनेसमैन ने यह काम किया है।

Sanjay Chaturvedi | Published : Jul 10, 2023 7:55 AM IST

चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh News). आपने भगवान के मंदिरों में भक्तों को प्रसाद चढ़ाते हुए तो देखा होगा लेकिन क्या कभी आपने ऐसा सोचा है कि भक्त अपने भगवान से खुश होकर उन्हें चांदी से बना स्कूटर चढ़ावे के रूप में गिफ्ट करे। राजस्थान में कुछ ऐसा ही हुआ है जहां भक्तों ने भगवान को चांदी से बने स्कूटर चढ़ावे के तौर पर चढ़ाया है। यह मंदिर है राजस्थान के मेवाड़ इलाके के प्रसिद्ध सांवलिया जी का।

चित्तौड़गढ़ के सांवलिया सेठ में चढ़ाया चांदी का स्कूटर

चित्तौड़गढ़ में स्थित इस प्रसिद्ध मंदिर में 3 श्रद्धालुओं ने मिलकर भगवान को 1 किलो से ज्यादा चांदी से बना स्कूटर चढ़ावे के रूप में चढ़ाया है। आपको बता दें कि स्कूटर चढ़ावे में देने वाले तीनों लोग परमेश्वर पुरा,कैलाश चंद्र और प्रकाश जाट तीनों ही इलाके के बिजनेसमैन है। जिन्होंने अच्छा प्रॉफिट होने पर भगवान को यह चढ़ावा दिया है।

सांवलिया जी में हर साल आता है करोड़ों का चढ़ावा

इस तरह का यह पहला मामला नहीं है जब भगवान सांवलियाजी को कोई महंगा चढ़ावा चढ़ाया गया हो। इसके पहले भी भक्त भगवान को सोने और चांदी से बने कई जेवरात और छोटे ट्रैक्टर भी चढ़ावे के तौर पर चढ़ा चुके हैं। आपको बता दें कि राजस्थान का यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि यहां हर महीने होने वाले चढ़ावे में करोड़ों रुपए की नगदी और जेवरात शामिल होते हैं। इस मंदिर में इतना ज्यादा चढ़ावा आता है कि हर महीने करीब 2 दिन यहां चढ़ावे को गिनने में ही लग जाते हैं।

आपको बता दें कि चित्तौड़गढ़ इलाके में आज भी सबसे ज्यादा खेती अफीम की होती है। ऐसे में अफीम की खेती करने वाले किसान या फिर उन्हें बेचने वाले व्यापारी अच्छा प्रॉफिट होने पर भगवान को अपने प्रॉफिट का एक हिस्सा चढ़ाते हैं कोई इसे नगद के रूप में दे जाता है तो कोई चांदी और सोने के जेवरात बनवाकर। राजस्थान में स्थित इस मंदिर की इतनी ज्यादा मान्यता है कि यहां हर साल करीब 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। जो राजस्थान ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों से होते हैं।

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