गुरु पूर्णिमा स्पेशल: देश के टॉप टीचर्स बने राजस्थान के ये गुरू, ऐसा चमत्कार किया कि राष्ट्रपति ने दिया पुरस्कार

Guru Purnima 2023: गुरू दो प्रकार के होते हैं एक वो जो स्कूल में शिक्षा ते हैं। दूसरे वो जो आध्यात्मिक शिक्षा देकर अंधकार से प्रकाश तरफ ले जाते। गुरु पूर्णिमा पर जानिए राजस्थान के दो ऐसे टीचर की कहानी, जिन्हें राष्ट्रपति ने पुरस्कार दिया है।

Arvind Raghuwanshi | Published : Jul 3, 2023 5:54 AM IST / Updated: Jul 03 2023, 11:26 AM IST

जयपुर. राजस्थान में सरकारी शिक्षक ने केवल अपने स्कूल में करवाई जाने वाली पढ़ाई ही नहीं बल्कि अन्य कामों के लिए जाने जाते हैं। फिर चाहे बात स्कूल में किसी निर्माण करवाने की हो या फिर समाज को जागरूक करने के लिए कोई अभियान चलाने की राजस्थान के सरकारी टीचर्स हरदम आगे रहते हैं। ऐसे ही 2 टीचर्स है दुर्गाराम मुवाल और सुनीता। जो राष्ट्रपति से भी सम्मानित हो चुके हैं। राष्ट्रपति के द्वारा दोनों को रजत पदक और 50 हजार रुपए का नगद पुरस्कार भी दिया।

कहानी उदयपुर के टीचर दुर्गाराम की

सबसे पहली बात उदयपुर जिला में फलासिया पंचायत समिति के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने वाले टीचर दुर्गाराम की। इन्होंने अपने आसपास के आदिवासी बच्चों को पहले तो स्कूल से जोड़ा। बकायदा यह आदिवासी बच्चों के घर घर गए और उनके परिजनों को समझाकर बच्चों को स्कूल आना शुरू करवाया। इसके बाद इन्होंने आदिवासी इलाकों में चलने वाले बालश्रम के खिलाफ जागरूक अभियान चलाया। बकायदा इस संबंध में दुर्गाराम आदिवासियों के घर पर गए और वहां उन्हें ही नहीं बल्कि आसपास के कई लोगों को बाल श्रम के बारे में बताया और आसपास के लोगों से समन्वय स्थापित करके तस्करी के जाल में फंसे बच्चों को भी बाहर निकाला। शुरू में तो यह शिक्षक आदिवासी लोगों को बेकार लगता था क्योंकि इसकी वजह से वह लोग कमाकर नहीं खा पा रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे वह भी टीचर का साथ देने लगे और आज पूरे इलाके में ज्यादातर आदिवासी बच्चे पढ़े लिखे हैं कई तो नौकरी भी लग चुके हैं।

दूसरी कहानी जानिए बीकानेर के टीचर सुनीता की

अब बात महिला टीचर सुनीता की। जो साल 2017 में ही महिला टीचर के पद पर बीकानेर के राजकीय मूक बधिर स्कूल में पोस्टेड हुई। यहां आने के बाद उन्होंने बच्चों को ट्रेंड करने के लिए अभियान शुरू किया। सुनीता जानती थी कि वह इतनी आसानी से इन बच्चों को कोई चीज सीखा नही पाएगी इसलिए सुनीता ने पहले खुद ने स्पेशल टीचर के रूप में ट्रेनिंग ली और फिर अपना रजिस्ट्रेशन रिहैबिलेशन काउंसिल ऑफ इंडिया में करवाया। हालांकि बच्चों को ट्रेंड करने में कई बार इन्हें काफी समस्याएं आई क्योंकि लाखों कोशिश के बाद भी बच्चे कुछ समझ नहीं पाते। लेकिन अब इनकी मेहनत का ही नतीजा है कि इनके ट्रेंड किए हुए बच्चे नेशनल लेवल के साइंस कंपटीशन में भी अवार्ड जीत रहे हैं।

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