
जयपुर. अगर आपका भी बैंक में लॉकर है तो ये खास खबर आपके लिए भी है। दरअसल जयपुर में एक बैंक लॉकर के कारण बैंक पर 45 लाख का जुर्माना उपभोक्ता आयोग ने ठोक दिया। चालीस लाख रुपए के जेवर चले गए सो अलग....। पूरा मामला बेहद ही हैरान करने वाला है।
दरअसल यह मामला केनरा बैंक, वैशाली नगर का है। जहाँ पति देवेन्द्र पुरषोत्तम चावड़ा ने अपनी पत्नी हेतल के साथ मिलकर 2013 में एक संयुक्त बैंक लॉकर खोला था। लॉकर में उनके करीब 40 लाख रुपए के कीमती जेवरात रखे हुए थे। जब बैंक ने उन्हें सूचित किया कि लॉकर का एग्रीमेंट रीन्यू करने पर वह बंद कर दिया जाएगा, तो पत्नी ने बैंक जाकर साइन कर दिए। लेकिन, पति को इस प्रक्रिया की जानकारी नहीं दी गई।
जब देवेन्द्र ने पत्नी से लॉकर की चाबी मांगी, तो उन्होंने इसे देने से मना कर दिया। जिसके बाद विवाद बढ़ गया। इस पर देवेन्द्र ने बैंक जाकर डुप्लीकेट चाबी बनवाने की कोशिश की, लेकिन बैंक ने उनके दोनों के साइन के बिना ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद 28 मार्च 2023 को उन्हें ईमेल द्वारा सूचित किया गया कि लॉकर बंद कर दिया गया है और उनका सारा सामान लॉकर में बंद रह गया है।
इस स्थिति में, देवेन्द्र ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई। आयोग ने मामले की सुनवाई के बाद बैंक को सेवा में कमी मानते हुए दोषी ठहराया। आयोग के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना ने स्पष्ट किया कि बैंक को पति को सूचित करना चाहिए था और उसे भी प्रक्रिया में शामिल करना आवश्यक था। इस चूक के कारण देवेन्द्र को न केवल आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ा।
आयोग ने बैंक पर 45 लाख रुपए का हर्जाना लगाने का फैसला सुनाया और साथ ही 25 हजार रुपए परिवाद खर्च के रूप में अदा करने का आदेश दिया। इस फैसले से केनरा बैंक के अधिकारी सकते में हैं। प्रदेश में संभवतः इस तरह का पहला ही मामला सामने आया है। उल्लेखनीय है कि देश भर में तमाम बड़े बैंक करोड़ों उपभोक्ताओं को अपनी शर्तों पर बैंक लॉकर्स देते हैं। इनका सालाना या मासिक किराया लिया जाता है।
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