गजब है नागौर के इस छात्र की कहानीः खुद दिव्यांग, पिता ने भी एक हाथ गंवाया और मां बीमार फिर भी कर दिया कमाल

राजस्थान के नागौर शहर के रहने वाले छात्र हरिराम ने ऐसा कारनामा किया है की सब उसकी तारीफ कर रहे हैं। अपनी विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और 12 वीं बोर्ड एग्जाम में कमाल करते हुए सभी विषय में 100 में से 100 नंबर हासिल करते हुए टॉप किया है।

Sanjay Chaturvedi | Published : Jun 10, 2023 9:19 AM IST

नागौर (nagaur News). राजस्थान का नागौर जिला अक्सर अपराध को लेकर चर्चा में रहा है। लेकिन अब नागौर जिले के रहने वाले हरि राम नाम के छात्र ने जो कारनामा किया है वह काबिले तारीफ है। इतनी सी उम्र में हरि ने अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए पूरे प्रदेश में अपना नाम गूंजा दिया। उसने बारहवीं बोर्ड परीक्षाओं की दिव्यांग कैटेगिरी में पांच सौ में से पांच सौ नबर हांसिल किए हैं और ऐसा करने वाला वह इकलौता छात्र है।

नागौर के छात्र ने सभी विषयों में 100 में से 100 अंक हासिल किए

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दरअसल राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानि आरएसईबी ने हाल ही में बारहवीं बोर्ड के तमाम संकाय परिणाम जारी कर दिया। इन परिणामों को जारी करने के बाद स्पेशल कैटेगिरी के परिणाम जारी किए जाते हैं। इस स्पेशल कैटेगिरी में दिव्यांग श्रेणी का परिणाम दो तीन दिन पहले ही जारी किया गया है। इस कैटेगिरी में नागोर जिले के कुमाचन सिटी क्षेत्र में दीपपुरा गांव पंचायत के गोपालपुरा गांव में रहने वाला हरिराम टॉप कर गया। राजनीति विज्ञान,हिंदी,इंग्लिश,, इतिहास और भूगोल...बारहवीं में ये उसके पांच विषय थे। इन सभी विषयों में उसने सौ में से सौ नंबर प्राप्त किए हैं। यानि उसका परिणाम सौ प्रतिशत रहा है।

नागौर के हरीराम के संघर्ष की कहानी है प्रेरणा देने वाली

अब बात हरीराम के संघर्ष की..... वह खुद भी दिव्यांग है। उसके पिता उगमाराम भी दिव्यांग हैं। पेशे से किसान उगमाराम का एक हाथ करीब छह साल पहले कट गया था, वह भी सीधा हाथ जो सबसे ज्यादा काम आता। पिता का हाथ कटने के बाद से बेटा हरिराम पिता की मदद करता खेतों में। हमेशा बीमार रहने वाली मां की देखभाल करता और छोटी बहन को भी बड़े भाई का प्यार देता।

हरिराम ने इस डेली रूटीन को फॉलो कर किया टॉप

हरिराम ने बताया कि वह कुचामन के रविन्द्र नाथ टैगोर सीनियर सैकेंड्री स्कूल में पढ़ता है। सवेरे चार बजे उठने के बाद एक घंटा योगा, फिर दो घंटे पढाई, फिर आठ बजे तक स्कूल। फिर दोपहर में घर आते ही सीधे खेत जाकर पिता की मदद करना। शाम को मां की देखभाल और घर के काम में मदद और फिर रात आठ बजे से ग्यारह बजे तक लगातार पढ़ाई। यही कई महीनों से हरीराम का रूटीन था और इसी रूटीन ने हरिराम को टॉप करा दिया।

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