राजस्थान पुलिस के DGP उमेश मिश्रा ने जारी की पुलिसवालों के लिए जबरदस्त स्कीम, बस इतना सा काम और प्रमोशन पक्का

राजस्थान के पुलिस डीजीपी ने पुलिसकर्मियों के प्रमोशन के लिए एक जबरदस्त स्कीम निकाली है। जिसके तहत बस पुलिसवालों को इतना सा काम करना है जिसके बाद उनको मिल जाएगा पदोन्नति। जानिए क्या है वो काम जिससे आसानी से मिलेगा प्रमोशन।

जयपुर (jaipur). राजस्थन पुलिस के मुखिया ने पुलिसिंग को बेहतर करने के लिए जोरदार स्कीम निकाली है। स्कीम है कि बच्चों से जुड़े केसेज की जांच करें, लापता बच्चों को तलाशें और हाथों हाथ प्रमोशन ऑर्डर ले जाएं। इस स्कीम के बाद अब पुलिस नई उर्जा से काम कर रही है। राजस्थान में करीब एक लाख रसे ज्यादा पुलिसकर्मी हैं। इनमें करीब अस्सी हजार से भी ज्यादा कांस्टेबल स्तर से लेकर इंस्पेक्टर स्तर के पुलिसकर्मी हैं। इन एक लाख पुलिसकर्मियों में से करीब 65 हजार फील्ड में तैनात हैं।

बच्चों को खोजकर लाने पर मिलेगा प्रमोशन

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डीजीपी ने बुधवार को इस मामले को लेकर आदेश निकाले हैं। उनका कहना है कि एक साल के पीरियड में 14 साल से कम उम्र के 25 बच्चों सहित 18 साल से कम उम्र के 60 बच्चे बरामद करने वाले कांस्टेबल, हैड कांस्टेबल और सहायक उप निरीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी को विशेष पदोन्नति दी जाएगी। वहीं इन्हें निर्धारित कोटे की वैकेंसी की उपलब्धता के आधार पर पदोन्नत किया जाएगा। डीजीपी ने अपने आदेश में यह भी साफ किया कि यह प्रमोशन उन्हीं पुलिसवालों को दिया जाएगा जिनकी कम से कम तीन साल की सर्विस बेदाग होगी। यानि तीन साल के दौरान उनको कोई बड़ी सजा नहीं मिली हो।

तीन साल तक ना लगा हो खाकी पर एक भी दाग

पिछले एक साल के दौरान उन्हें किसी भी तरह का बड़ा या छोटा दंड नहीं मिला हो। तीन साल के दौरान उनकी वीसीआर रिपोर्ट भी बेदाग होना जरूरी है। यह भी बताया गया है कि यह इनाम उन्हीं पुलिसवालों को मिलेगा जिनकी सूचना पर बच्चों को बरामद कर लिया जाएगा। यानि उन पुलिसवालों को ऐसा कोई प्रमोशन नहीं मिलेगा जो सिर्फ बच्चों को बरामद करने भर का काम करेंगे। डीजीपी ने यह भी स्पष्ठ किया कि ऐसे पुलिसवालों को अन्य उचित इनाम दिए जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान में पहली बार इस तरह की स्कीम पुलिस अफसरों ने निकाली है। राजस्थान में हर साल बड़ी संख्या में बच्चे लापता होते हैं। जिनकी उम्र आठ साल से लेकर 18 साल तक होती है। इनमें किशोरियों और बच्चियों की संख्या करीब सत्तर फीसदी तक होती है। लापता बच्चों के मामले में पुलिस अपहरण समेत अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर सख्ती से जांच पड़ताल करती है।

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