अब इस खबर ने राजस्थान में पशु संचालकों की बढ़ा दी चिंता, मेले में लगा घोड़ों की इंट्री पर बैन

राजस्थान में गायों के बाद अब घोड़ों पर हावी हो रही बीमारी। इसके चलते प्रदेश में पशु मेले में लगा बैन। इस खबर के चलते पशुपालक हो रहे परेशान। इस बीमारी के कारण पशु प्रेमी भी नहीं कर सकेंगे घोड़ों का दीदार।

जैसलमेर (jaisalmer). राजस्थान में कुछ महीनों पहले लंबी बीमारी के कारण हजारों गायों की मौत हो चुकी है। साथ ही इस बीमारी के कारण लाखों गायें परेशान भी रही और उनका लंबा इलाज चला। हालांकि अब यह बीमारी लगभग खत्म हो चुकी है, लेकिन इस बीमारी के बाद अब राजस्थान के कई शहरों में घोड़ों में बीमारी होने लगी है।

पशु मेले में घोड़ो की इंट्री पर लग गया बैन

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यह बीमारी ग्लैंडर्स रोग है और इस बीमारी के कारण अब कल से राजस्थान के जैसलमेर शहर में शुरू होने वाले बड़े पशु मेले में घोड़ों की एंट्री बैन कर दी गई है। मेला शुरू होने से ठीक 1 दिन पहले निकाले गए इन आदेशों के कारण पशु प्रेमी परेशान हैं। साथ ही घोड़ों के मालिक भी बेहद दुखी हैं। राजस्थान पशु विभाग का कहना है कि कई शहरों में इस बीमारी की मौजूदगी के बाद अब बड़े स्तर पर सर्वे शुरू कर दिया गया है। साथ ही एंटी डोज का बंदोबस्त भी विभाग के द्वारा किया जा रहा है।

प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा मेला

राजस्थान के पशुपालन विभाग के अफसरों का कहना है कि रामदेवरा में लगने वाला पशु मेला राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है। लेकिन इस मेले में अब घोड़े दिखाई नहीं देंगे। दरअसल राजस्थान के जयपुर, झुंझुनू, अलवर जैसे कई बड़े शहरों में घोड़ों में यह बीमारी देखने को मिली है। इस बीमारी के कारण ही अब पशु मेले में घोड़े बिकते हुए दिखाई नहीं देंगे।

घोड़ों में फैली ग्लैंडर्स बीमारी

इस रोग के कारण घोड़ों में तेजी से संक्रमण फैलता है। इस बीमारी में घोड़े के शरीर पर फफोले हो जाते हैं , साथ ही उसे सांस लेने में परेशानी होती है। शरीर में तेज बुखार रहता है और नाक से पानी बहने लगता है। यह बीमारी तेजी से एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलती है। पशु विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लैंडर्स वायरस बेहद खतरनाक है। इसकी कोई एंटी डोज नहीं बनी है , लेकिन कुछ एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से इसे कुछ हद तक काबू करने के बारे में चर्चाएं चलती हैं।

ज्यादा दिन तक नहीं जीता घोड़ा

लेकिन इस रोग का पॉजिटिव घोड़ा ज्यादा दिन तक नहीं जी पाता है । उसकी बीमारी का कोई पुख्ता इलाज नहीं होने के कारण उसे मार दिया जाता है । इस बीमारी से घोड़े की मौत होने के बाद केंद्र सरकार मुआवजे के तौर पर 25 हजार रुपए देती है और जिस जगहों पर इस तरह के घोड़े मिलते हैं, उन जगहों में 5 से 6 किलोमीटर के एरिया में सभी जानवरों की जांच पड़ताल की जाती है। कुछ जगहों पर इस बीमारी के लक्षण पशु मालिकों में भी देखने को मिले हैं। उन्हें भी तेज बुखार और नाक से पानी आने की समस्या का सामना करना पड़ा है।

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