
झुंझुनूं. राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया हैए जहां बीमार साधु की मदद करना एक पुजारी को महंगा पड़ गया। पुजारी ने साधु के इलाज के लिए अपना आधार कार्ड दिया, लेकिन जब साधु की मृत्यु हो गई। तो अस्पताल रिकॉर्ड में मृत व्यक्ति के रूप में पुजारी का नाम दर्ज हो गया।
ये है पूरा मामला... धनूरी थाना क्षेत्र के कांट गांव स्थित बालाजी मंदिर के पुजारी चेतनगिरी के पास 7 फरवरी को दिल्ली के नजफगढ़ निवासी साधु कुलदीप 42, पहुंचा। कुछ दिनों बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। चेतनगिरी उसे बिसाऊ और झुंझुनूं के अस्पतालों में ले गया, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल में भर्ती करवाने के दौरान आधार कार्ड मांगा गया, लेकिन कुलदीप के पास कोई पहचान पत्र नहीं था। मानवता के नाते चेतनगिरी ने अपने आधार कार्ड से रजिस्ट्रेशन करवा दिया। 22 फरवरी को कुलदीप की तबीयत और बिगड़ गई, तो उसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
जब अस्पताल प्रशासन ने रिकॉर्ड चेक किया, तो मृत व्यक्ति के रूप में पुजारी चेतनगिरी का नाम दर्ज था। जयपुर से शव लेकर वह अपने गांव बिरमी पहुंचा और अंतिम संस्कार करना चाहा, लेकिन ग्रामीणों ने विरोध कर दिया। पुलिस जांच में पता चला कि मृत व्यक्ति कुलदीप था, लेकिन रिकॉर्ड में पुजारी का नाम दर्ज था। शव की पहचान उसकी जेब में मिली पर्ची में लिखे मोबाइल नंबरों से हुई। पुलिस ने उसके परिवार से संपर्क किया और शव को उनके सुपुर्द कर दिया।
पुजारी चेतनगिरी का कहना है कि उसने सिर्फ इंसानियत के नाते बीमार साधु की मदद की थी, लेकिन अब खुद को मृत घोषित होते देख परेशान है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि सही दस्तावेजों के आधार पर मृत्यु प्रमाण पत्र संशोधित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बीडीके अस्पताल वही अस्पताल है जहां कुछ दिन पहले एक मृत युवक जिंदा हो गया था। हांलाकि बाद में उसने दम तोड़ दिया था।
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