
कोटा (राजस्थान). कोटा जिले के शंभूपुरा गांव में 24 मार्च को एक दिल छू लेने वाली घटना घटी, जब एक नन्हा भालू का शावक झाड़ियों में अकेला मिला। यह घटना वन्यजीव प्रेमियों और स्थानीय लोगों के दिलों को छू गई। वन विभाग की टीम ने इस नन्हे शावक को उसकी माँ से मिलाने के लिए दिन-रात एक कर दिया।
वन विभाग की टीम के अथक प्रयासों के बावजूद, शावक की माँ का कोई पता नहीं चल रहा था। तभी 10 किलोमीटर दूर स्थित शोपुरिया गांव के शिव मंदिर के पुजारी ने एक महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मंदिर के पास एक गुफा में एक मादा भालू रहती है, जिसके दो बच्चे थे, लेकिन उनमें से एक कुछ दिनों से लापता है। यह जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम ने उम्मीद की किरण देखी।
वन विभाग की टीम शावक को लेकर शोपुरिया गांव पहुंची और उसे गुफा के पास एक बॉक्स में रख दिया। जैसे ही बॉक्स खुला, शावक तेज़ी से गुफा की ओर दौड़ा और अपनी माँ की गोद में जा गिरा। मादा भालू ने अपने बच्चे को सूंघकर पहचाना और उसे अपनी पीठ पर बैठा लिया।
वन विभाग की मेहनत रंग लाई वन विभाग के रेंजर बुद्धाराम जाट ने बताया कि मादा भालू भोजन की तलाश में शंभूपुरा गांव की ओर गई होगी, और इसी दौरान उसका बच्चा उससे बिछड़ गया होगा। छह दिनों तक टीम ने शंभूपुरा और आसपास के इलाकों में मादा भालू की तलाश की और अंततः सफलता मिली। इस सफल अभियान में रेंजर बुद्धाराम चौधरी, सहायक वनपाल मनोज कुमार, वनरक्षक सत्यनारायण, धनराज और वन्यजीव प्रेमी बनवारी व उर्वशी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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