
जोधपुर. राजस्थान की ब्लू सिटी कहे जाने वाले जोधपुर की रक्षक है मां चामुंडा देवी , प्रताप इतना है कि हर साल लाखों भक्त पहाड़ पर स्थित इस मंदिर में मां के दर्शन करने आते हैं। जोधपुर में करीब 560 साल पहले मंडोर के परिहारो ने कुलदेवी के रूप में स्थापित किया गया था। मंडोर से राजा राव जोधा जोधपुर आए थे और उन्होंने जोधपुर में मेहरानगढ़ किले की स्थापना की थी। इसी किले की चोटी पर माता का मंदिर स्थापित है।
भारत-पाकिस्तान के युद्ध बम भी मंदिर का कुछ नहीं बिगाड़ सके
मां चामुंडा के प्रति अटूट आस्था का एक उदाहरण और भी मिलता है । दरअसल 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध के दौरान जोधपुर में सैकड़ो बम गिरे थे, लेकिन एक भी बम नहीं फट सका, यह सारे माता के प्रताप से निष्क्रिय हो गए थे।
जब तक जील मंडराती रहेगी...तब तक कुछ नहीं होगा
महाराज राव जोधा के बाद महाराज अजीत सिंह ने मंदिर का विधिवत निर्माण करवाया था । कहा जाता है कि जिस समय निर्माण किया जा रहा था उसे समय मंदिर पर चील मंडरा रही थी। यह भी कहा जाता है की माता ने ही राव जोधा और महाराज अजीत सिंह को सपने में बताया था जब तक मंदिर पर चील मंडराती रहेगी तब तक किसी तरह का कोई अनिष्ट नहीं होगा। आज भी मंदिर पर कभी-कभार चील मंडराती नजर आती है।
नवरात्रि में इस मंदिर में विशेष पूजा पाठ
जोधपुर राजघराने के वर्तमान वंशज महाराज गज सिंह हर साल नवरात्रि में इस मंदिर में विशेष पूजा पाठ का आयोजन करते हैं और हवन में स्वयं भी शामिल होते हैं । पूरा जोधपुर जिला मां चामुंडा देवी को अपना रक्षक मानकर पूजा करता है।
225 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी...
हालांकि मानवीय भूल के कारण मां चामुंडा देवी के मंदिर में 30 सितंबर 2008 यानी नवरात्रि के प्रथम दिन, दर्शन करने की होड़ में भगदड़ मची थी । इस भगदड़ में 225 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी और 500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। आज भी नवरात्रि के प्रथम दिन अपनों को खोने वाले लोग माता के आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में आते हैं।
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