
अजमेर। Ajmer Dargah controversy : राजस्थान की ऐतिहासिक अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर जारी कानूनी विवाद में बड़ा मोड़ आ गया है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को भगवान शिव का मंदिर बताकर उसे हिंदू धार्मिक स्थल घोषित करने की याचिका पर केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई है। इससे हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है।
शनिवार को अजमेर जिला अदालत में हुई सुनवाई में केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल कर याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाए। मंत्रालय ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और तकनीकी खामियों के चलते इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 31 मई को तय की गई है।
केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि याचिका में आवश्यक कानूनी आधार नहीं दिए गए हैं। साथ ही भारत सरकार को पक्षकार नहीं बनाया गया है। इसके अलावा याचिका का हिंदी अनुवाद भी स्पष्ट नहीं है और अंग्रेजी-अनुवाद में विरोधाभास है। यही नहीं, पहले दिए गए आदेश में सभी संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर भी नहीं मिला था। इन तमाम कारणों के चलते मंत्रालय ने याचिका को निरस्त करने की सिफारिश की है।
हिंदू सेना ने दी प्रतिक्रिया हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता, जिन्होंने यह याचिका दायर की थी, ने कहा कि वे केंद्र की आपत्ति का विधिक अध्ययन कर उचित जवाब अदालत में दाखिल करेंगे। उन्होंने माना कि यदि कोई तकनीकी त्रुटि है तो उसे दुरुस्त कर पुनः प्रस्तुत किया जाएगा।
वहीं मुस्लिम पक्ष, खासकर खादिमों की ओर से मामले में शामिल अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह ने कहा कि यह याचिका निराधार और असंवेदनशील थी। उन्होंने केंद्र सरकार के कदम का स्वागत करते हुए इसे सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की दिशा में अहम बताया।
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