बोरवले में कितने बच्चे मारे गए, कितना मुआवजा देती है राजस्थान सरकार, जानिए A-Z

Published : Dec 27, 2024, 10:45 AM ISTUpdated : Dec 27, 2024, 02:30 PM IST
Rajasthan borewell accidents chetna trapped in a borewell for 5 days kotputli

सार

राजस्थान में बोरवेल हादसे बढ़ते जा रहे हैं, कई बच्चों की जान जा चुकी है। सरकार मुआवजा तो देती है, लेकिन क्या ये काफी है? क्या नए नियम हादसों को रोक पाएंगे?

कोटपूतली (राजस्थन). तीन साल की चेतना सोमवार दो दो बजे से सात सौ फीट गहरे बोरवेल में फंसी हुई है। तीन दिन से उसका शरीर मूवमेंट भी नहीं कर रहा है। पुलिस , प्रशासन , परिवार और रेस्क्यू करने वाली तमाम टीमों को लग रहा है कि चेतना की सांसे थम चुकी है। उसे निकालने का प्रयास आज भी किया जा रहा है। जाते साल में इस महीने में यह दूसरा केस है जब मासूम बच्चे की इस तरह से जान गई है। इन हादसों के बाद भी न तो परिवार और न ही प्रशासन चेतता है। यही कारण है कि सबसे ज्यादा हादसे राजस्थान में होते हैं।

बोरवेल में 59 हादसे हो चुके, सिर्फ दो बच्चों ही जिंदा बचे

सात साल में 59 हादसे हो चुके हैं राजस्थान में, सिर्फ दो बच्चों को ही बचाया जा सका... एनसीआरबी और राजस्थान पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार राजस्थान में बोरवेले हादसे हर साल हो रहे हैं। साल 2018 से 2024 तक की मानें तो सात साल के दौरान करीब 59 हादसे हुए हैं। इनमें से सिर्फ दो बच्चों को बजाया जा सका है। साल दर साल की बात की जाए तो साल 2018 में 15, 2019 में 6, 2020 में 18, 2021 में 6, 2022 में 2 और साल 2023-24 में करीब बारह हादसे हुए हैं। कुल 59 हादसों में से सिर्फ दो में ही बच्चों को समय रहते बचाया जा सका है।

बोरवेल हादसों पर कितना मुआवजा देती है सरकार

पहले डेढ़ लाख देती थी सरकार, अब बढ़ाई गई है मुआवजा राशि राजस्थान सरकार बोरवेले हादसों और पानी में डूबने के हादसों को प्राकृतिक आपदा में दर्ज करती है। देश के अन्य राज्यों में भी लगभग यही नियम है। करीब आठ साल पहले इस तरह से जान गवाने वाले लोगों को सरकार एक लाख पचास हजार रुपए की मुआवजा राशि देती थी। लेकिन आठ साल पहले इसे बढ़ाकर चार लाख रुपए कर दिया गया है। पिछले कुछ सालों में राजस्थान विधानसभा में कई विधायकों ने इस राशि को दस लाख करने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के लिए दिया था यह आदेश

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को सीरियस नहीं ले रहे प्रदेश एक फरवरी 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के हादसों के लिए राज्य सरकारों को टाइट किया था और उनको निर्देश दिए थे कि इन हादसों को किसी भी कीमत पर रोका जाए। सूखा प्रदेश होने के कारण राजस्थान देश के टॉप तीन राज्यों में शामिल है जहां सबसे ज्यादा बोरवेल खोदे जाते हैं। बोरवेल खोदने के लिए जिला कलेक्टर या एसडीएम की परमिशन जरूरी होती है, साथ ही पुलिस की भी भूमिका होती है। लेकिन पिछले कुछ सालों में पुलिस की मिलीभगत से सीधे ही बोरवेले खोदे जाने लगे।

बिना परमिशन के बोरवेले खोदे जा रहे…

 अब राजस्थान सरकार ने बिना परमिशन बोरवेले खोदने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अब अगर किसी को बोरवेल खोदना है तो वह पहले जलदाय विभाग को सूचना देगा और साथ ही जिला कलेक्टर से पंद्रह दिन पहले अनुमति लेगा। पानी नहीं निकलता है तो बोरवेल का तुरंत लोहे की चादर से वेल्डिंग कर पैक किया जाएगा। ऐसा नहीं करने पर जुर्माना लगाने की भी तैयारी है।

बोरवेल हादसों पर टेंशन में आ जाते हैं पांच विभाग

एक साथ पांच विभाग होते हैं परेशान, बढ़ जाती है सबकी टेंशन बोरवेल हादसों के बाद एक साथ पांच विभागों को परेशानी उठानी होती है। इनमें सबसे पहले पुलिस विभाग है। दूसरे नंबर पर जिला प्रशासन की टीम होती है। तीसरे नंबर पर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें काम में जुटती हैं। इसके अलावा अन्य राज्यों से एक्सपर्ट बुलाने के कारण भी परेशानी उठानी होती है।

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