राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी विवाद थमता सा नजर आ रहा है। पिछले दिनों केसी वेणुगोपाल के साथ नजर आई गहलोत-पायलट की मुस्कुराती तस्वीर के कई मायने निकाले जा रहे हैं। लेकिन इससे सबसे ज्यादा नुकसान पायलट को हुआ है। समझिए कैसे…
जयपुर. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट का विवाद काफी हद तक थम गया है । यह दावा किया जा रहा है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ केसी वेणुगोपाल की मुस्कुराती हुई फोटोस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आलाकमान ने दोनों की बातें सुन ली है और दोनों को चुनाव में साथ रहने के लिए निर्देश दिए हैं । लेकिन इन सब के बाद भी अभी तक यह जवाब नहीं मिल सका है कि आलाकमान किन शर्तों पर राजी हुआ है ।
राजस्थान सरकार को दिया पायलट का अल्टीमेटम खत्म
इस बीच सचिन पायलट को लेकर राजस्थान से फिर बड़ी खबर आ रही है। सचिन पायलट ने गहलोत सरकार को जो अल्टीमेटम दिया था वह आज खत्म हो रहा है। इसके बाद सचिन पायलट ने बड़े आंदोलन की चेतावनी दी थी ।
पायलट की अजमेर से जयपुर तक पैदल यात्रा बेअसर
दरअसल 15 मई को सचिन पायलट की अजमेर से लेकर जयपुर तक पैदल यात्रा निकाली थी । उनके साथ उनके काफी सारे समर्थक की यह जन संघर्ष यात्रा थी और इस यात्रा के अंत में सरकार को यह अल्टीमेटम दिया गया था कि अगर 15 दिन के भीतर सरकार तीन शर्ते नहीं मानती है तो 1 जून को बड़ा आंदोलन करने की तैयारी रहेगी ।
पेपर लीक से लेकर वसुंधरा राजे की जांच कराने की थीं तीन शर्तें
इन 3 शर्तों में पहली शर्त थी कि आरपीएससी को पूरी तरह भंग कर दिया जाए । पेपर लीक के कारण जिन छात्रों को नुकसान हुआ है सरकार उन्हें मुआवजा दें और तीसरी सबसे बड़ी शर्त की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के द्वारा किए गए भ्रष्टाचारों की सरकार जांच करें ।
सीएम गहलोत ने सचिन पायलट की नहीं मानी एक भी शर्त
गहलोत सरकार ने फिलहाल इन तीनों शर्तों में से एक भी शर्त नहीं मानी है और इस बीच आलाकमान ने दखल दी है। आलाकमान ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत में सुलह करा दी है । ऐसे में अब सचिन पायलट पर दबाव बढ़ता जा रहा है । सचिन पायलट ने जन संघर्ष यात्रा में कहा था कि वे जनता के लिए और भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच कराने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं , लेकिन अब आलाकमान से सुलह के बाद यह देखना होगा कि सचिन पायलट अपनी इन तीन शर्तों को लेकर क्या कार्रवाई करते हैं ।
अशोक गहलोत की तरफ से नहीं आया कोई बयान
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से इस मामले में अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है और ना ही सचिन पायलट ने आगामी प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी दी है । सबसे बड़ी बात यह है कि अपनी ही सरकार के खिलाफ एक महीने में दो बार प्रदर्शन और आंदोलन करने वाले सचिन पायलट घूम फिर कर फिर से वही आ गए हैं जहां से उन्होंने शुरुआत की थी ।
पायलट-गहलोत विवाद से राजस्थान की जनता को कोई फायदा नहीं हुआ
इन दो आंदोलनों से उनके समर्थकों या राजस्थान की जनता को कोई फायदा नहीं हुआ है। इस बीच आज सचिन पायलट राजस्थान के टोंक जिले में जनता के बीच हैं और उनका कहना है कि वह जनता को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले हैं।