
Sawan 2025: राजस्थान की संस्कृति और रंगों की बात हो और लहरिया का ज़िक्र न हो, यह संभव नहीं। पारंपरिक परिधान ‘लहरिया’ न केवल सावन के त्योहारों में महिलाओं की पहली पसंद है, बल्कि अब यह एक ग्लोबल फैशन स्टेटमेंट बन चुका है। इतना ही नहीं बॉलीवुड से लेकर विदेशों तक लहरिया की मांग बढ़ी है।
जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर जैसे शहरों में लहरिया की पारंपरिक बंधेज तकनीक से बनी साड़ियाँ, दुपट्टे, साफे और कुर्ते सावन के महीने में बाज़ारों में छा जाते हैं। खासकर तीज और राखी जैसे त्योहारों पर लहरिया की मांग चरम पर होती है।
लहरिया का नाम ‘लहर’ यानी लहरों से पड़ा है, क्योंकि इसकी डिजाइन में लहरदार पट्टियाँ होती हैं जो आंखों को भाती हैं। पारंपरिक रूप से ये कपड़े प्राकृतिक रंगों से बनाए जाते थे, लेकिन अब डिज़ाइनर्स इसमें सिल्क, शिफॉन और जॉर्जेट जैसे फैब्रिक का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
बदलते समय के साथ लहरिया अब केवल साड़ियों तक सीमित नहीं रहा। बड़े फैशन ब्रांड्स लहरिया प्रिंट को वेस्टर्न ड्रेसेज़, स्कार्फ, जैकेट्स और यहां तक कि हैंडबैग्स में भी इस्तेमाल कर रहे हैं। बॉलीवुड सेलेब्रिटीज भी लहरिया आउटफिट्स में नजर आ रहे हैं, जिससे इसकी लोकप्रियता और बढ़ी है।
राजस्थान सरकार भी लहरिया को बढ़ावा देने के लिए विशेष मेले और फेयर आयोजित कर रही है। लघु उद्योग विभाग द्वारा जयपुर और जोधपुर में स्थानीय कारीगरों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने की पहल की जा रही है, ताकि उनकी कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार मिल सके। इस सावन में यदि आप पारंपरिक और ट्रेंडी लुक दोनों चाहती हैं, तो लहरिया आपके वार्डरोब में जरूर होना चाहिए। यह सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि राजस्थान की विरासत का रंगीन प्रतीक है।
राजस्थान की राजनीति, बजट निर्णयों, पर्यटन, शिक्षा-रोजगार और मौसम से जुड़ी सबसे जरूरी खबरें पढ़ें। जयपुर से लेकर जोधपुर और उदयपुर तक की ज़मीनी रिपोर्ट्स और ताज़ा अपडेट्स पाने के लिए Rajasthan News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — तेज़ और विश्वसनीय राज्य समाचार सिर्फ Asianet News Hindi पर।