
जयपुर. भारत में गधों की घटती संख्या और तस्करी का एक खतरनाक नेटवर्क सामने आ रहा है। गधों और उनकी खाल की तस्करी नेपाल के रास्ते चीन तक पहुंच रही है। इस नेटवर्क में महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के गधों को निशाना बनाया जा रहा है। गधों की खाल का उपयोग चीन में पारंपरिक औषधियों के लिए किया जाता है, जिसे पौरुष शक्ति और सुंदरता बढ़ाने की दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल किया जाता है।
तस्करी का तरीका भारत और नेपाल के बीच करीब 1,500 किलोमीटर की खुली सीमा है, जिसे तस्कर अपने अवैध काम के लिए उपयोग कर रहे हैं। नेपाल की सीमा पर गधों को चरने के लिए छोड़ दिया जाता है, और मौका मिलते ही उन्हें नेपाल में खदेड़ दिया जाता है। नेपाल के सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) ने कई बार सीमा पार करने की कोशिश में गधों और खच्चरों को पकड़ा है, लेकिन तस्कर अक्सर भारतीय सीमा में भागने में सफल हो जाते हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, गधों को भारत के विभिन्न राज्यों से लाकर बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे क्षेत्रों में उनका कत्ल किया जाता है। खाल को छोटे वाहनों, दुपहिया गाड़ियों या साइकिलों के जरिए नेपाल भेजा जाता है और फिर वहां से चीन। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित कस्बे, जैसे रुपईडीहा और रक्सौल, तस्करी के बड़े केंद्र बने हुए हैं। यहां सुरक्षाकर्मियों की ढील का फायदा उठाकर तस्कर अपना सामान सीमा पार ले जाते हैं।
गधों की घटती संख्या और खतरा ब्रुक इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, गधों की संख्या में तेजी से गिरावट देखी जा रही है। चीन में गधों की खाल की अत्यधिक मांग के चलते हर साल लाखों गधों का कत्ल हो रहा है। इस तस्करी से भारत के गर्दभ पालन व्यवसाय पर भी गहरा असर पड़ रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए भारत और नेपाल के बीच सीमा सुरक्षा को सख्त करने और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। यह न केवल पशु संरक्षण का मुद्दा है बल्कि आर्थिक और पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी बेहद अहम है।
राजस्थान की राजनीति, बजट निर्णयों, पर्यटन, शिक्षा-रोजगार और मौसम से जुड़ी सबसे जरूरी खबरें पढ़ें। जयपुर से लेकर जोधपुर और उदयपुर तक की ज़मीनी रिपोर्ट्स और ताज़ा अपडेट्स पाने के लिए Rajasthan News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — तेज़ और विश्वसनीय राज्य समाचार सिर्फ Asianet News Hindi पर।