
Success Story : राजस्थान के अजमेर जिले के हाथीखेड़ा गांव के किसान फतेह सिंह रावत ने उस जमीन पर खेती कर दिखाई है, जिसे लोग हमेशा बंजर और बेकार मानते रहे। माखुपुरा क्षेत्र की पथरीली और सूखी ज़मीन पर उन्होंने दो साल पहले बादाम के पौधे लगाने का फैसला किया। शुरुआत में गांव के लोगों ने उनके इस फैसले को पागलपन करार दिया, लेकिन आज उसी ज़मीन पर हरे-भरे बादाम के पेड़ लहलहा रहे हैं।
फतेह सिंह ने बताया कि जब उन्होंने खेती शुरू की, तब कई लोगों ने मजाक उड़ाया। लेकिन उन्होंने न रासायनिक खाद का सहारा लिया, न ही हार मानी। जैविक खेती और नियमित देखरेख से उन्होंने ज़मीन की गुणवत्ता सुधारी और आज उनका प्रयोग रंग ला चुका है।
फतेह सिंह के खेत में उगाई जा रही बादाम की फसल अब स्थानीय बाजारों में ₹700 से ₹1000 प्रति किलो बिक रही है। इस उपलब्धि के बाद उनके खेत में अब दूसरे किसान और युवा भी प्रेरणा लेने पहुंच रहे हैं। वे फतेह सिंह से खेती की तकनीक और जैविक विधियों की जानकारी ले रहे हैं।
रावत का मानना है कि यदि सही जानकारी और संकल्प हो, तो कोई भी जमीन खेती के लायक बनाई जा सकती है। वे चाहते हैं कि जिले के अन्य किसान भी पारंपरिक फसलों से आगे सोचें और नई तकनीकों को अपनाएं। उनका सपना है कि ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवा जैविक खेती को अपनाएं और खुद का रोजगार खड़ा करें। यह कहानी न सिर्फ एक किसान की मेहनत की गवाही देती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि जज़्बा हो तो ज़मीन नहीं, सोच फसल उगाती है।
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