जयपुर. राजस्थान के ऐतिहासिक चित्तौड़ दुर्ग पर आज (25 नवंबर) को 493 साल बाद एक अहम और ऐतिहासिक समारोह होने जा रहा है। यह राजतिलक समारोह मेवाड़ के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ का होगा, जो अपने पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद मेवाड़ की गद्दी पर बैठेंगे। इस समारोह में खास बात यह है कि पारंपरिक रीति-रिवाजों के तहत तलवार से अंगूठा काटकर रक्त से राजतिलक किया जाएगा। इस आयोजन की शुरुआत आज सवेरे 21 तोप की सलामी के साथ हुई है।
यह भव्य समारोह चित्तौड़ दुर्ग के फतेह प्रकाश महल में आयोजित होगा, जहां नाथद्वारा के विधायक और मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह को उनके वंश की गद्दी पर बैठाया जाएगा। इस ऐतिहासिक पल को देखने के लिए मेवाड़ के लोग और विभिन्न समाजिक लोग एकत्रित होंगे। इस दौरान पारंपरिक विधियों का पालन करते हुए, सलूंबर के ठिकानेदार तलवार से अंगूठा काटकर विश्वराज सिंह को तिलक करेंगे।
विश्वराज सिंह मेवाड़ का जन्म 18 मई 1969 को हुआ था। इन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वर्तमान में वे नाथद्वारा से विधायक हैं। उनके पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद अब उनका राजतिलक हो रहा है, जो इस क्षेत्र के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण है।
राजतिलक के बाद, विश्वराज सिंह उदयपुर जाएंगे, जहां वे सिटी पैलेस में धूणी के दर्शन करेंगे और एकलिंगजी महादेव मंदिर में भी पूजा अर्चना करेंगे। इसके बाद, शोक भंग की रस्म निभाई जाएगी, जिसमें सफेद पाग हटाकर गुलाबी पाग पहनाई जाएगी। इस रस्म के बाद परिवार के सभी सदस्य और पुरानी जागीरदारों के साथ समारोह में उत्सव का माहौल होगा और सभी मेवाड़ी रंगीन पाग पहन सकेंगे।
राजतिलक का यह कार्यक्रम मात्र एक पारंपरिक समारोह नहीं, बल्कि एक समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का प्रतीक है। मेवाड़ के लोग इस दिन को अपने इतिहास के महत्वपूर्ण पल के रूप में याद करेंगे, जब 493 साल बाद चित्तौड़ दुर्ग पर राजतिलक हुआ है। उल्लेखनीय है कि विश्व राज सिंह मेवाडा के पिता महेंद्र सिंह मेवाडा महाराणा प्रताप के 76वें वंशज थे । हाल ही में उनका निधन हुआ है।