कहीं श्रीकृष्ण की सिर्फ भुजा तो कहीं हैं चरण, इन 3 मंदिरों की कहानी रहस्यमयी

Published : Aug 26, 2024, 01:32 PM ISTUpdated : Aug 26, 2024, 01:39 PM IST
lord krishana shri govind dev ji

सार

राजस्थान में भगवान श्री कृष्ण के तीन अलग-अलग मंदिर, गोविंददेव, गोपीनाथ और मदन मोहन, मिलकर उनका पूर्ण स्वरूप बनाते हैं। मान्यता है कि सूर्योदय से सूर्यास्त तक इनके दर्शन से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

जयपुर. देशभर में आज जन्माष्टमी के मौके पर भगवान कृष्ण के अलग-अलग मंदिर की कहानी चर्चा में है। लेकिन क्या आप जानते हैं राजस्थान में भगवान श्री कृष्ण के तीन अलग-अलग मंदिर हैं। तीनों मिलकर भगवान कृष्ण का स्वरूप बनाते हैं। यह तीनों मंदिर जयपुर के गोविंददेव, गोपीनाथ और करौली के मदन मोहन जी का मंदिर है। एक मान्यता है कि सूर्योदय से सूर्यास्त तक इन तीनों के दर्शन किए जाए तो मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

किसी मंदिर से श्रीकृष्ण के बाहु तो किसी से मिलते चरण

मान्यता है कि करौली में विराजमान मदन मोहन के विग्रह के चरण भगवान श्री कृष्ण से मिलते हैं और जयपुर के गोपीनाथ जी विग्रह के वक्ष स्थल और बाहु भगवान के स्वरूप से मिलते हैं और जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर का विग्रह तो हुबहू भगवान श्री कृष्ण के मुख मंडल और आंखों से मिलता है।

श्रीकृष्ण के इन मंदिरों में आने से होती हर मनोकामना पूरी

जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर के सेवादार अमोल बताते हैं कि इन तीनों के विग्रह के दर्शन के लिए रोजाना लाखों वक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि तीनों के विग्रह के दर्शन कर लेते हैं तो साक्षात कृष्ण के दर्शन होते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। पौराणिक शास्त्रों में तीनों ही मंदिरों का विग्रह करीब 5000 साल पुराना बताया है।

मुस्लिम शासक महमूद गजनबी के आतंक की कहानी का है कनेक्शन

एक मान्यता यह भी है कि जब दसवीं शताब्दी में मुस्लिम शासक महमूद गजनबी के आक्रमण बढ़े तो भगवान कृष्ण ने अपने इन तीनों विग्रह को धरती में छुपा कर उस जगह संकेत चिन्ह अंकित कर दिए। लेकिन कई सालों तक मुस्लिम शासन रहने के कारण विग्रह के बारे में किसी को मालूम ही नहीं हुआ। 16वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु ने अपने दो शिष्यों रूप गोस्वामी और सनातन गोस्वामी को भेजा इसके बाद यह विग्रह जनता के सामने आए।

तीनों ही मंदिरों में लाखों भक्त आते दर्शन करने

इसके बाद धीरे-धीरे तत्कालीन राजाओं और अन्य सेवकों ने इनके बारे में जाना तो धीरे-धीरे विग्रह का प्रचार हुआ और मंदिरों का निर्माण करवाया गया। आज तीनों ही मंदिरों में लाखों की तादाद में भक्ति दर्शन करने के लिए आएंगे। इनमें सबसे ज्यादा भीड़ जयपुर के गोविंद देव मंदिर में होने वाली है।

PREV

राजस्थान की राजनीति, बजट निर्णयों, पर्यटन, शिक्षा-रोजगार और मौसम से जुड़ी सबसे जरूरी खबरें पढ़ें। जयपुर से लेकर जोधपुर और उदयपुर तक की ज़मीनी रिपोर्ट्स और ताज़ा अपडेट्स पाने के लिए Rajasthan News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — तेज़ और विश्वसनीय राज्य समाचार सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

राजस्थान बना देश का ऐसा पहला राज्य, सड़क पर शव रख विरोध किया तो 5 साल की जेल
एक ऐसी भी पत्नी, पति का कत्ल कराने के बाद फ्लाइट से शोक सभा में पहुंची