
Rajasthan News: बारिश के मौसम में मौत बिना दस्तक दिए भी घर में घुस सकती है। राजस्थान के भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, डूंगरपुर जैसे जिलों में सांप के काटने से मौतें एक आम खतरा बन गई हैं। जून से सितंबर के बीच यानी मानसून के चार महीनों में राजस्थान देश का तीसरा सबसे ज्यादा सांप काटने से मौत वाला राज्य बन चुका है। यूपी-एमपी और महाराष्ट्र के बाद, राजस्थान में हर साल औसतन 5,000 मौतें सांप के डसने से होती हैं। जिसमें अधिकतर मौतें इलाज में देरी की वजह से होती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में झाड़-फूंक और तांत्रिकों पर भरोसा लोगों की जान ले रहा है। अधिकतर मामलों में लोग प्राथमिक उपचार और अस्पताल जाने की बजाय पहले झाड़ू करने वाले 'बाबा' के पास जाते हैं, जिससे कीमती समय निकल जाता है। नतीजा — एक सेकंड में असर करने वाला ज़हर, और इलाज की देरी में जिंदगी खत्म।
खासतौर पर अंधेरी, शांत और गर्म जगहों की तलाश में रहते हैं। जैसे: पलंग के नीचे अलमारी या स्टोर रूम के कोने उलटी रखी बाल्टी या ड्रम बगीचे में बढ़ी घास या जमा पानी पुराने टायर, बक्से, जूते, बोरे
हर 7-10 दिन में बगीचे की घास काटें, जमा पानी हटाएं। फिनायल और थोड़ा सा एसिड मिलाकर गार्डन, दरवाजे, स्टोर रूम में छिड़कें। पुरानी वस्तुएं, जूते, बक्से आदि को समय-समय पर जांचें। रात में अंधेरे कोनों में बिना देखे हाथ न डालें। बच्चों को अकेले स्टोर या गार्डन में न भेजें।
बारिश के इन चार महीनों में सांपों के बिलों में पानी भर जाता है, और वे सूखी, सुरक्षित जगह की तलाश में घर के अंदर तक घुस आते हैं। कई बार नींद में सोते इंसान को सांप काट लेता है। डॉक्टरों का कहना है कि पहले 30 मिनट बहुत अहम होते हैं, और तुरंत अस्पताल पहुंचना ही जान बचा सकता है।
राजस्थान में अभी भी करीब 75 दिन मानसून के बाकी हैं। यह समय सावधानी और सजगता का है। अंधविश्वास से ऊपर उठकर इलाज को प्राथमिकता दें, क्योंकि सांप का ज़हर सेकंडों में असर करता है, और छोटी सी लापरवाही पूरे परिवार को सदमे में डाल सकती है।
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