क्या होती है अचार संहिता, क्या-क्या बदल जाता...एक गलती चुनाव लड़ना करवा सकती है रद्द

राजस्थान में चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही आचार संहिता लागू हो गई। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या सरकार की सभी योजनाएं बंद हो जाएगी? क्या अब फ्री मोबाइल नहीं मिलेगा 100 यूनिट बिजली के भी पैसे देने पड़ेंगे मुफ्त दवाई योजना का क्या होगा?

जयपुर. राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण 23 नवंबर को मतदान होगा और 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे।चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही आचार संहिता लागू हो गई। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या सरकार की सभी योजनाएं बंद हो जाएगी? क्या अब फ्री मोबाइल नहीं मिलेगा 100 यूनिट बिजली के भी पैसे देने पड़ेंगे मुफ्त दवाई योजना का क्या होगा?

क्या होती है आदर्श आचार संहिता

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दरअसल, देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान स्वतंत्र चुनाव के लिए इलेक्शन कमीशन के बनाए गए इन नियमों का पालन राजनैतिक दलों की जिम्मेदारी होती है। चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए राजनीतिक दलों के लिए यह नियम बनाते हैं। इन नियमों को आचार संहिता कहते हैं। आदर्श आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा चुनावी तारीखों ऐलान के तुरंत बाद से ही लागू हो जाती है और जब तक चुनाव नहीं हो जाते तब तक यह लागू रहती है। इस दौरान नए कामों की स्वीकृति नहीं होती है। यानि सार्वजनिक उद्घाटन, शिलान्यास बंद हो जाते हैं। कोई भी नेता सरकारी मशीन या वाहन का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।

आम लोगों पर अचार संहित का इफेक्ट

आचार संहिता लगने के बाद अब राजस्थान में लोग परेशान हो रहे हैं, दरअसल राजस्थान में इन दिनों फ्री मोबाइल वितरण का काम चल रहा है । लेकिन आज जैसे ही आचार संहिता लगी वैसे ही पाली , जोधपुर समेत कुछ जिलों में मुफ्त मोबाइल वितरण की योजना को बंद कर दिया गया और मोबाइल लेने आई बुजुर्ग महिलाओं को वापस लौटा दिया गया। इस कारण कई जिलों में हंगामा भी हुआ है। उन्हें कहा गया है कि आचार संहिता लग गई है अब मोबाइल फोन नहीं मिलेंगे। तो क्या आचार संहिता लगने के बाद राजस्थान में सारी सरकारी योजनाएं बंद हो जाएगी? इस सवाल का जवाब आसान भाषा में समझिए....

राजनीतिक बैनर-पोस्टर हटे...

दरअसल आचार संहिता लगने के बाद कई बड़े बदलाव सरकार में देखने को मिलते हैं । सबसे पहले जितने भी सरकारी योजनाओं के बैनर पोस्टर लगाए गए हैं, उनको हटाने का काम शुरू हो गया है । सरकारी गाड़ियों को अब नेता इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे , उन्हें मोटर गैरेज में वापस जमा किया जा रहा है। अब किसी भी तरह की सरकारी योजना ना तो शुरू की जाएगी, ना ही इसकी घोषणा की जा सकेगी। किसी भी योजना का शिलान्यास या उद्घाटन नहीं किया जा सकेगा । यही कारण है कि पिछले दो दिन के दौरान राजस्थान में दर्जनों शिलान्यास और उद्घाटन कर दिए गए हैं । सरकार ने 2 दिन पहले ही तीन नए जिले बनाए थे , लेकिन अब उन जिलों का गजट नोटिफिकेशन नहीं होने के कारण यह जिले मान्य नहीं होंगे।

आचार संहिता लगने के बाद भी यह तमाम काम जारी रहेंगे…

आचार संहिता लगने के बाद वे तमाम योजनाएं और आयोजन जारी रहेंगे जिनके नोटिफिकेशन आचार संहिता लगने से पहले जारी कर दिया गया है या जिनकी शुरुआत हो चुकी है । सरकारी कार्यालय में जनता से जुड़े तमाम कार्य आम दिन की तरह होते रहेंगे , हालांकि सरकार या सरकार से जुड़े हुए अधिकारी किसी भी तरह के ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं कर सकेंगे। लेकिन चुनाव आयोग को अगर जरूरत महसूस होती है तो वह अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकते हैं ।

इमरजेंसी फैसले में क्या करना होता है...

जो सरकारी योजनाएं पहले से शुरू की जा चुकी हैं उनका लाभ नियमित तौर पर जनता को मिलता रहेगा और सबसे बड़ी बात यह है कि अगर कोई भी बड़ा फैसला इमरजेंसी में लेना होता है ,तो इसके लिए चुनाव आयोग शिथिलता दे सकता है।

मुफ्त दवा योजना , मुफ्त बिजली योजना, मुफ्त मोबाइल योजना...

उल्लेखनीय है कि राजस्थान में 10 बड़ी योजनाएं जारी हैं जो 24 अप्रैल से शुरू की गई थी । इनमें मुफ्त दवा योजना , मुफ्त बिजली योजना, मुफ्त मोबाइल योजना समेत अन्य योजनाएं शामिल है । इन सभी योजनाओं के लाभ जनता को नियम अनुसार दिए जा सकेगा।‌ हालांकि इन योजनाओं के वितरण के समय अब तक जो सरकारी विज्ञापन वाले बैनर पोस्टर लगाए गए थे ,उन्हें हटाकर इन योजनाओं का लाभ दिया जा सकेगा।

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