
लखनऊ: इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कस्टम के अधिकारियों के द्वारा आंख मूंदकर घातक असलहों को क्लीयरेंस दिया जा रहा था। इस एयरपोर्ट के तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर कस्टम विद्याधर बी. पचौरे से पूछताछ के दौरान इस बात का खुलासा हुआ है। बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी को असलहों के क्लीयरेंस देने के दौरान भी चूक को स्वीकार किया गया। एसटीएफ की पूछताछ में असिस्टेंट कमिश्रनर ने चूक को स्वीकारते हुए मातहतों के सिर इसका ठीकरा फोड़ने का प्रयास किया।
रसीद को भी नहीं किया गया चेक
गौरतलब है कि अब्बास अंसारी के द्वारा 2016 में स्लोवानिया से प्रतिबंधित बोर के ब्लॉजर रायफल को लाया गया था। हालांकि कस्टम क्लीयरेंस दौरान कहा गया कि बैगेज में रायफल नहीं सिर्फ बैरल है। इस बीच कस्टम अधिकारियों के द्वारा उसकी रसीद को देखने की तकल्लुफ भी नहीं उठाई गई। एसटीएफ ने जब मामले में शस्त्र लाइसेंस पर 7 असलहों को खरीदने की जांच शुरू की तो इस बात का खुलासा हुआ। स्लोवानिया से वापस आने के दौरान अब्बास ने दिल्ली पुलिस के लाइसेंसिंग अधिकारियों के पास पहुंचकर अपने लाइसेंस पर ब्लॉजर रायफल भी दर्ज करवाई थी।
असलहों के क्लीयरेंस में चूक को किया गया स्वीकार
ज्ञात हो कि वह पहले भी ग्लॉक पिस्टल समेत कई अन्य असलहे ला चुका था। मामले में एसटीएफ के द्वारा एयरपोर्ट के कस्टम अधिकारियों और दिल्ली पुलिस के अफसरों से भी पूछताछ शुरू की। अब्बास के शस्त्रों के ब्यौरे को लेकर इन सभी से पूछताछ की गई और इसी कड़ी में तत्कालीन कस्टम सुप्रीटेंडेंट कुलदीप से भी 23 फरवरी को पड़ताल की गई। पूछताछ के दौरान असिस्टेंट कमिश्नर कस्टम विद्याधर बी. पचौरे ने एसटीएफ के सामने बताया कि अब्बास अंसारी के असलहे की क्लीयरेंस की फाइल उन्हें सुप्रीटेंडेंट कुलदीप ने दी। उन्होंने कुलदीप पर ही भरोसा करके उस फाइल पर साइन कर दिया। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि असलहों के क्लीयरेंस में भारी चूक हुई है।
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