UP: खुदाई में मिली चौंकाने वाली मूर्ति, क्या यहां था कोई प्राचीन बौद्ध या जैन स्थल?

Published : Jun 21, 2025, 03:38 PM IST
ancient idol found shikohabad up buddha mahavir

सार

archaeological discovery Firozabad: फिरोजाबाद में ओवरहेड टैंक की खुदाई में एक प्राचीन मूर्ति मिली है। बौद्ध और जैन समुदाय दोनों इसे अपना बता रहे हैं, जिससे क्षेत्र में उत्सुकता और धार्मिक चर्चा का माहौल है।

Ancient idol found in UP: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद रोड पर स्थित रिजोर कस्बे में शुक्रवार को इतिहास की परतें खुल गईं। ओवरहेड टैंक निर्माण के दौरान हुई खुदाई में एक रहस्यमयी प्राचीन मूर्ति सामने आई, जिसने स्थानीय लोगों में उत्सुकता और धार्मिक बहस दोनों को जन्म दे दिया है।

खुदाई के दौरान मिली अद्भुत मूर्ति से मचा हड़कंप

रिजोर में ओवरहेड टैंक के निर्माण के लिए चल रही खुदाई के दौरान अचानक मजदूरों को मिट्टी के नीचे एक पत्थर की प्राचीन मूर्ति मिली। जैसे ही यह खबर फैली, सैकड़ों लोग उस स्थान पर पहुंच गए। स्थानीय बौद्ध समुदाय के लोगों ने दावा किया है कि यह मूर्ति भगवान गौतम बुद्ध की है। उनका कहना है कि मूर्ति की मुद्रा और आकार बौद्ध धर्म की मूर्तिकला से मेल खाती है।

जैन समाज ने बताया, यह भगवान महावीर स्वामी की मूर्ति है

दूसरी ओर, रिजोर और फफोतू गांव के जैन धर्म अनुयायी इसे भगवान महावीर स्वामी की मूर्ति मान रहे हैं। उनका तर्क है कि इस क्षेत्र का इतिहास जैन परंपरा से जुड़ा रहा है और पास में ही एक प्राचीन जैन मंदिर भी स्थित है।

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मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने तत्काल आगरा स्थित पुरातत्व विभाग को सूचित किया है। विभाग की टीम जल्द ही स्थल का निरीक्षण कर प्रतिमा की ऐतिहासिकता और धर्मिक पहचान की पुष्टि करेगी।

सुरक्षा व्यवस्था की गई कड़ी, मूर्ति को सुरक्षित रखा गया

सीओ सकीट कीर्तिका सिंह ने जानकारी दी कि पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची और प्रतिमा को सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया गया है। साथ ही, प्रतिमा के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न हो, इसके लिए विशेष निगरानी की जा रही है।मूर्ति मिलने के बाद से रिजोर में उत्साह और अध्यात्म का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। लोग लगातार उस स्थान पर आ रहे हैं और मूर्ति को देखकर प्रार्थना कर रहे हैं।

इतिहासकारों की नजरें मूर्ति पर टिकीं, हो सकता है बड़ा खुलासा

स्थानीय इतिहासकारों का कहना है कि यह मूर्ति किसी प्राचीन सभ्यता या धार्मिक केंद्र की ओर संकेत कर सकती है। यदि यह मूर्ति प्रमाणिक निकली, तो क्षेत्र को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में मान्यता मिल सकती है। मूर्ति को लेकर दो प्रमुख धर्मों बौद्ध और जैन – के बीच मतभेद देखने को मिल रहे हैं। हालांकि प्रशासन की सख्ती के चलते अभी तक किसी तरह का विवाद नहीं हुआ है, लेकिन मामले को लेकर सतर्कता बरती जा रही है।

अब सबकी निगाहें आगरा से आने वाली पुरातत्व विभाग की टीम पर हैं, जो जल्द ही मूर्ति का विश्लेषण कर यह तय करेगी कि यह किस काल की और किस धर्म की मूर्ति है।

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