समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने औरंगजेब पर बयान देकर महाराष्ट्र की राजनीति गरमायी ही थी कि यूपी से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने औरंगजेब को अखंड भारत का निर्माता बता दिया। जानें कैसे चढ़ता जा रहा बयानबाजी से राजनीति का तापमान…
Aurangzeb Controversy: महाराष्ट्र के बाद अब यूपी में मुगलिया बादशाह औरंगजेब एक बार फिर सुर्खियों में हैं। समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र इकाई के प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी के बाद अब यूपी के कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने औरंगजेब को अखंड भारत का निर्माता बताकर राजनीति गरमा दी है। इमरान मसूद ने कहा कि औरंगजेब ने अखंड भारत का निर्माण किया था, उसे इतिहास में मिटाया नहीं जा सकता।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि औरंगजेब आतताई नहीं था बल्कि अखंड भारत बनाने वाला बादशाह था। एक फिल्म बनाकर इतिहास को मिटाया नहीं जा सकता। मसूद ने कहा कि जो इतिहास में लिखा है उसे मिटाया नहीं जा सकता। लोगों को सही ज्ञान मिलनी चाहिए। औरंगजेब इस देश का 49 साल तक बादशाह रहा तो वह आतताई कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा कि औरंगजेब के राज्य में जीडीपी काफी बेहतर थी। औरंगजेब जब हिंदुस्तान का बादशाह था तो उसने कैलाश मानसरोवर को विजयी कराया, बर्मा तक अखंड भारत बनाया। उन्होंने कहा कि आज मुगलों के वंशज बर्तन मांज कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। यहीं पैदा हुए और यहीं इस मिट्टी में मर खप गए। वह अंग्रेज थे जो लूट कर चले गए। उन्होंने कहा कि बहादुर शाह जफर के दोनों बच्चों का कत्ल इसलिए किया क्योंकि उसने आत्मसमर्पण नहीं किया था। उन्होंने कहा कि नफरत से बीजेपी इस देश को न जाने कहां लेकर जाएगी। नफरत की राजनीति से देश को नुकसान हो रहा। देश के 25 करोड़ लोगों को साइडलाइन नहीं कर सकते हैं।
दरअसल, सांसद इमरान मसूद, बालीवुड फिल्म छावा की बात कर रहे थे जिसमें औरंगजेब को छत्रपति शिवाजी के बेटे संभाजी को प्रताड़ित करते हुए दिखाया गया है।
समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष व विधायक अबू आज़मी ने यूपी से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के पहले औरंगजेब पर बयान देकर राजनीति गरमा दी थी। उन्होंने कहा था कि औरंगजेब को हिंदू विरोधी बताना गलत है क्योंकि उसकी प्रशासनिक व्यवस्था में 34 प्रतिशत हिंदू थे और उसके कई सलाहकार भी हिंदू थे। उन्होंने कहा: अगर औरंगजेब रहमतुल्लाह अलैह ने मंदिर तोड़े तो मस्जिदें भी तोड़ीं। अगर वह हिंदुओं के खिलाफ होता तो 34% हिंदू उसके शासन में नहीं होते और उसके सलाहकार हिंदू नहीं होते। यह सच है कि उसके शासन में भारत 'सोने की चिड़िया' था। इसे हिंदू-मुस्लिम मुद्दा बनाने की जरूरत नहीं है। अबू आज़मी ने आगे कहा कि उस दौर के शासकों के बीच सत्ता और संपत्ति को लेकर संघर्ष होता था लेकिन इसे धार्मिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। पढ़िए पूरा डिटेल…