
Ayodhya News : भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या इन दिनों दीपोत्सव 2025 की तैयारियों में पूरी तरह रंग चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में रामनगरी की पहचान न केवल आध्यात्मिक केंद्र के रूप में बल्कि सांस्कृतिक और कलात्मक वैभव के रूप में भी निखर रही है। इस बार दीपोत्सव का उत्सव अयोध्या को एक अनूठे सांस्कृतिक कैनवास में तब्दील कर रहा है, जहां फ्लाईओवर, दीवारें और सड़कें रामायण के प्रसंगों और कलात्मक थ्री डी चित्रों से सजी हैं। यह नजारा न केवल स्थानीय लोगों बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रहा है।
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रामायण के प्रसंगों से सजी दीवारें अयोध्या की दीवारें इस बार दीपोत्सव की सांस्कृतिक चमक का प्रतीक बन रही हैं। शहर की प्रमुख सड़कों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों की दीवारों पर रामायण के प्रसंगों को चित्रित किया गया है। इनमें हनुमान जी का लंका दहन, राम-लक्ष्मण संवाद और सीता हरण जैसे दृश्य शामिल हैं। ये चित्र न केवल आंखों को सुकून देते हैं, बल्कि रामायण की शिक्षाओं को भी आम जन तक पहुंचाते हैं। स्थानीय कलाकारों का कहना है कि इन चित्रों को बनाने में आधुनिक और पारंपरिक कला का समन्वय किया गया है, ताकि अयोध्या की सांस्कृतिक धरोहर को और अधिक उजागर किया जा सके।
अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अश्वनी पांडेय ने बताया कि रामनगरी के फ्लाईओवर और सड़कों पर उकेरी गई दिव्य आकृतियां इस दीपोत्सव को और भी खास बना रही हैं। राम मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में विशेष रूप से सजावट की गई है, जहां दीपों की रोशनी और कलात्मक चित्रण का संगम एक अलौकिक दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। इन आकृतियों में भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान के साथ-साथ अयोध्या की प्राचीन संस्कृति को दर्शाया गया है। पर्यटक इन चित्रों को देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं और सोशल मीडिया पर इनकी तस्वीरें साझा कर रहे हैं, जिससे अयोध्या की वैश्विक पहचान और मजबूत हो रही है।
योगी सरकार ने दीपोत्सव को एक वैश्विक आयोजन बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। अयोध्या की हर गली, हर चौराहा और हर कोना दीपों और रंगों से सजा है। सरयू तट पर लाखों दीपों की रोशनी से दीपोत्सव की भव्यता को और बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, लेजर शो, सांस्कृतिक कार्यक्रम और रामलीला का मंचन भी इस उत्सव का हिस्सा होगा। सरकार का लक्ष्य है कि दीपोत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन हो, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर को विश्व पटल पर ले जाए।
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