Ayodhya Ram Mandir Dhwajarohan: संत समाज में उत्साह, योगी-मोदी की भूमिका की सराहना

Published : Nov 25, 2025, 12:55 PM IST
Ayodhya Ram Mandir Dhwajarohan sant samaj reaction PM Modi CM Yogi Adityanath

सार

राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज प्रतिष्ठापन को संत समाज ने 500 वर्षों की प्रतीक्षा और संघर्ष का फल बताया। साधु-संतों ने इसे सनातन गौरव का क्षण माना। समारोह में श्रीराम–जानकी विवाह पर्व का पूजन हुआ और योगी-मोदी की भूमिका की भी सराहना की गई।

अयोध्या। सनातन परंपरा और आस्था के प्रतीक धर्मध्वज का आज श्रीराम मंदिर के शिखर पर प्रतिष्ठापन अयोध्या के संत समाज के लिए अत्यंत भावपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण बन गया। 500 वर्षों की प्रतीक्षा, संघर्ष और तपस्या के बाद यह पल केवल धार्मिक उपलब्धि नहीं बल्कि सनातन आस्था की विश्वस्तरीय प्रतिष्ठा का प्रमाण बन रहा है। अयोध्या के संत इस क्षण को सनातन गौरव की नई शुरुआत मान रहे हैं।

सदियों की साधना और संघर्ष का साकार रूप

साधु-संतों का कहना है कि आज वह सपना सच हुआ है जिसकी कल्पना उनके पूर्वजों ने सदियों पहले की थी। उनका मानना है कि धर्मध्वज का आरोहण भारत की आध्यात्मिक विरासत को और मजबूत करता है और विश्वभर में सनातन धर्म की महिमा को उजागर करता है। यह क्षण उन संतों, भक्तों और समाज के धैर्य व आस्था की विजय है जिन्होंने सैकड़ों वर्षों तक संघर्ष किया।

प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की भूमिका पर संत समाज की सराहना

संत समाज का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी डबल इंजन सरकार ने मंदिर संस्कृति के संरक्षण, धार्मिक स्थलों के विकास और संत परंपरा के सम्मान को नई दिशा दी है। मठ-मंदिरों का संवर्धन और सुविधाओं का विस्तार प्रदेश में आध्यात्मिक चेतना को सशक्त बना रहा है।

सनातन संस्कृति के पुनरुद्धार की सराहना

राम वैदेही मंदिर के प्रमुख संत दिलीप दास ने कहा कि अयोध्या मिशन के तहत सनातन संस्कृति के पुनरुद्धार का कार्य प्रशंसनीय है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धर्म की रक्षा और स्थापना में निरंतर सक्रिय बताते हुए कहा कि वे सिर्फ मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि सनातन परंपरा के रक्षक हैं।

विवाह पंचमी पर पूजन-अर्चन के साथ सम्पन्न हुआ समारोह

विवाह पंचमी के अवसर पर आयोजित इस विशेष समारोह में साधु-संतों ने प्रभु श्रीराम और माता जानकी के विवाह पर्व का पूजन-अर्चन भी किया। संत समाज का विश्वास है कि यह दिव्य क्षण भारत के उज्ज्वल भविष्य और सनातन समाज के आत्मगौरव को और मजबूत करेगा। यह पल आने वाले समय में सनातन संस्कृति के नवउत्थान का संकेत भी माना जा रहा है।

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