रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले भव्य दिखने लगा राम मंदिर, देखें 10 Exclusive Photos

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। 16 जनवरी से मंदिर अनुष्ठान के कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं, जो 21 जनवरी तक चलेंगे। इसी बीच, अयोध्या से कुछ तस्वीरें सामने आईं हैं, जिनमें राम मंदिर का विहंगम दृश्य लोगों का मन मोह लेगा। 

Ganesh Mishra | Published : Jan 19, 2024 9:06 AM IST / Updated: Jan 19 2024, 02:41 PM IST

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अयोध्या में मंगलवार 16 जनवरी से प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान शुरू हो चुका है। 16 से 22 जनवरी तक प्राण-प्रतिष्ठा को अलग-अलग चरणों में संपन्न किया जाएगा।

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भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को है।

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सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में होगा।

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19 जनवरी की शाम को धान्याधिवास, 20 जनवरी की सुबह शर्कराधिवास, फलाधिवास, 20 जनवरी की शाम को पुष्पाधिवास, 21 जनवरी की सुबह मध्याधिवास और 21 जनवरी की शाम को शय्याधिवास होगा।

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प्राण-प्रतिष्ठा में 7 अधिवास होते हैं और न्यूनतम 3 अधिवास अभ्यास में होते हैं। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे।

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प्राण प्रतिष्ठा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में होगी।

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भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत भी उपस्थित रहेंगे।

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इसके अलावा नागा साधु, 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन हेतु पधारेंगे।

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शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि परंपराएं भाग लेंगी।

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इसके अलावा शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा भी प्राण-प्रतिष्ठा में मौजूद रहेंगी।

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ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएं भी राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होंगी।

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