Ram Janmabhoomi Darshan: राम संग अयोध्या में दिखेगी वाल्मीकि-निषादराज की आस्था, PM मोदी ने क्या कहा?

Published : Sep 29, 2025, 11:06 AM IST
Ram Janmabhoomi Darshan

सार

अयोध्या राम मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मीकि और निषादराज गुह्य की संगमरमर प्रतिमाएं स्थापित। अक्टूबर 2025 से श्रद्धालुओं को दर्शन का अवसर, रामायण की समरस परंपरा और समाज जोड़ने का प्रतीक बनेगा यह भव्य मंदिर।

Ayodhya Ram Temple: अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण अपने अंतिम चरण में है। इस भव्य मंदिर में अब सिर्फ रामलला के दर्शन ही नहीं, बल्कि महर्षि वाल्मीकि और निषादराज गुह्य की भव्य संगमरमर की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” में इसे विशेष रूप से बताया और सभी भक्तों से आग्रह किया कि रामलला के दर्शन के साथ इन प्रतिमाओं का दर्शन अवश्य करें।

महर्षि वाल्मीकि और निषादराज की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?

महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की और इसे मानवता के लिए आदर्श के रूप में स्थापित किया। रामायण में माता शबरी और निषादराज गुह्य जैसे पात्र समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि अयोध्या का यह परिसर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि समरसता और आस्था का प्रतीक भी बनेगा।

प्रतिमाओं की भव्यता और निर्माण कैसे हुआ?

अयोध्या रामजन्मभूमि परिसर में सप्तमंडप में हाल ही में वाल्मीकि और निषादराज की प्रतिमाओं का अनावरण किया गया। ये प्रतिमाएं जयपुर के शिल्पकारों द्वारा विशेष संगमरमर पत्थर से तराशी गई हैं। प्रतिमाएं मंदिर के दक्षिणी हिस्से में अंगद टीले के समीप स्थापित की गई हैं। ट्रस्ट के पदाधिकारी बताते हैं कि अक्टूबर 2025 तक ये परिसर श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह खुल जाएगा।

श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का अनुभव कैसा होगा?

  • भक्त रामलला के दर्शन करेंगे।
  • उसके साथ ही महर्षि वाल्मीकि और निषादराज गुह्य की प्रतिमाओं का दर्शन भी कर सकेंगे।
  • संगमरमर की ये प्रतिमाएं देखने में बेहद भव्य और आकर्षक हैं।
  • दर्शन के दौरान श्रद्धालु रामकथा की समरस परंपरा और समाज के हर वर्ग तक फैलने वाले संदेश को महसूस कर पाएंगे।

अयोध्या बनेगी आस्था और समरसता का प्रतीक-यह क्यों महत्वपूर्ण है?

धार्मिक विद्वानों के अनुसार, भगवान श्रीराम केवल अयोध्या के ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। महर्षि वाल्मीकि और निषादराज के मंदिर यह संदेश देंगे कि रामकथा केवल राजाओं और महलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर व्यक्ति और समाज के हर वर्ग को जोड़ने वाली धारा है।

अक्टूबर 2025 के बाद मंदिर परिसर के दर्शन का अनुभव कैसा होगा?

अयोध्या का यह भव्य रामजन्मभूमि परिसर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि समरसता और संस्कृति का जीवंत प्रतीक भी बनेगा। महर्षि वाल्मीकि और निषादराज गुह्य की प्रतिमाएं इस स्थल को और अधिक आकर्षक और हृदयस्पर्शी बनाती हैं। श्रद्धालु जब इस पावन स्थल का दर्शन करेंगे, तो केवल भगवान श्रीराम के ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के आदर्शों और मूल्यों का अनुभव करेंगे।

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