UP में फिर दहशत का साया: क्या भेड़ियों का आतंक फिर लौट कर आया? जानें इतिहास

Published : Sep 08, 2024, 07:38 PM IST
wolves attacks

सार

उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों का आतंक एक बार फिर सिर उठा रहा है, जिससे 9 बच्चों और एक महिला की मौत हो चुकी है। यह घटना 1996 की याद दिलाती है जब प्रतापगढ़, जौनपुर और सुल्तानपुर में भेड़ियों ने 6 महीनों में 38 बच्चों की जान ले ली थी।

UP भेड़ियों के आतंक का इतिहास। इस वक्त UP के बहराइच में भेड़ियों का आतंक सिर चढ़ कर बोल रहा है। आलम ये है कि ये अब तक  9 बच्चों और एक महिला को शिकार बना चुके हैं। इसके अलावा 40 को बुरी तरह से घायल कर दिया है। इसके लिए यूपी प्रशासन जिले के करीब 50 गांवों के गलियों की खाक छान रही है। पुलिस और वन विभाग की टीम युद्ध स्तर पर दरिंदे भेड़िया को ढूंढ रही है। गांव वाले भी अपने स्तर पर खोजबीन में लगे हुए है। उनका बस एक ही मकसद है भेड़िए को देखते के साथ मौत के घाट उतार देना है। हालांकि, ये पहली बार नहीं है, जब यूपी में भेड़ियों ने आतंक मचाया है। आज से 28 साल पहले 1996 में प्रदेश का एक हिस्सा भेड़ियों के खौफ का हिस्सा रहा था।

बात है साल 1996 की जब यूपी के  प्रतापगढ़, जौनपुर और सुल्तानपुर भेड़िया एक-एक कर लोगों को अपना शिकार बना रहा था। खौफ का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि महज 6 महीनों के भीतर ही आदमखोर जानवर ने 38 बच्चों को मौत के घाट उतार दिया था और 78 लोग घायल हो गए थे। हर तरफ भयानक मंजर था। गांव में बच्चों के लाश क्षत-विक्षत हालत में मिलते। किसी का सिर, पैर यहां तक की अंदरूनी अंग भी पूरी तरह से गायब रहते थे।

लोगों को सताने लगा इच्छाधारी भेड़िया का खौफ

खौफ का ऐसा आलम था कि लोगों को लगने लगा था कि कोई भेष बदलने वाला इच्छाधारी भेड़िया था, जो बच्चों को शिकार बनाता है। इस चक्कर में कई भिखारी और घूम-घूमकर समान बेचने वालों को गांव वालों ने मार दिया था। लेकिन उन्हें बाद में पता चला कि जंगली जानवर के वजह से लोगों की जानें जा रही है। उस वक्त भी लोग बचने के लिए रात में पहरा देना शुरू कर दिया था। हालांकि, लाख कोशिशों के बाद भी शिकार में कमी नहीं आई। आज के मुकाबले 28 साल पहले टेक्नोलोजी भी एडवांस नहीं थी। न कोई सोशल मीडिया था। इस वजह से लोग एक-दूसरे को लगातार सतर्क करते रहते थे। प्लान तैयार करते कि किसे कैसे और कब पहरा देना है।

2002 से लेकर 2005 तक भेड़ियों का सिलसिला हुआ शुरू

हालांकि, बाद में साल 1997 में भेड़ियों को मारने के लिए कई शॉर्प शूटर बुलाए गए। 1300 स्क्वायर किलोमीटर की रेकी की गई। जांच में पता चला कि 1 ही भेड़िए ने आतंक मचा रखा था। उसके वजह से 35 गांव दहशत में जी रहे थे। इसके 5 साल बाद यानी साल 2002 में एक बार फिर से यूपी के बलरामपुर में भेड़ियों के हमला शुरू हुआ, जो अगले 3 साल तक चला। इस हमले में 3 सालों के दौरान भेड़ियों ने 130 बच्चों को अपना शिकार बनाया और करीब 150 बच्चे घायल हो गए। हालांकि, इस बार फिर से शार्प शूटरों की फौज ने अपना काम किया और जून 2005 में आदमखोर भेड़िया के एक कुनबे मार गिराया। बता दें कि यूपी के हर्रैया, ललिया, महाराजगंज तराई और तुलसीपुर थाना क्षेत्र के 125 गांव भेड़ियों के आतंक से भयभीत रहते हैं। ये सारे इलाके भारत-नेपाल बॉर्डर पर स्थित है।

ये भी पढ़ें: बहराइच में भेड़ियों को पकड़ने के लिए क्या है पूरा प्लान, हर तरफ खतरे की घंटी

PREV

उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल, प्रशासनिक फैसले, धार्मिक स्थल अपडेट्स, अपराध और रोजगार समाचार सबसे पहले पाएं। वाराणसी, लखनऊ, नोएडा से लेकर गांव-कस्बों की हर रिपोर्ट के लिए UP News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद और तेज़ अपडेट्स सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

राम जन्मभूमि आंदोलन के स्तंभ राम विलास वेदांती का निधन, सीएम योगी ने दी श्रद्धांजलि
न्यूड शव और गायब सिर, हाईवे पर मिली लाश ने खोल दी बिलाल की खौफनाक कहानी