ज्ञानवापी केस में वाराणसी कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में नियमित पूजा का अधिकार दिया है। इसके लिए जिला प्रशासन को 7 दिन में व्यवस्था करनी है।
वाराणसी। ज्ञानवापी केस में वाराणसी कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। हिंदू पक्ष को नियमित पूजा का अधिकार मिला है। हिंदू अब व्यास तहखाने में पूजा कर पाएंगे। कोर्ट ने प्रशासन को सात दिन में व्यवस्था करने के आदेश दिए हैं। व्यास तहखाना ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर है। वर्तमान में इसे सीलबंद किया गया है। पहले यहां हिंदू पूजा करते थे।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट के फैसले के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष को 'व्यास का तेखाना' में प्रार्थना करने की अनुमति दी गई है। जिला प्रशासन को 7 दिनों के भीतर व्यवस्था करनी होगी। अब सभी को पूजा करने का अधिकार होगा।
विष्णु शंकर जैन ने कहा- ऐतिहासिक है फैसला
विष्णु शंकर जैन ने कहा, "जिला प्रशासन वहां जल्द से जल्द पूजा की व्यवस्था करेगी। सात दिन के अंदर जिला प्रशासन को व्यवस्था करनी है। जैसे ही जिला प्रशासन से व्यवस्था होगी वहां तुरंत पूजा शुरू हो जाएगी। पूजा कैसे हो यह काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा तय किया जाएगा। मैं यह कहना चाहता हूं कि जो जस्टिस के.एम. पांडे ने राम मंदिर का ताला खोलने के लिए 1 फरवरी 1983 को आदेश दिया था। मैं आज के इस आदेश को उसी की तुलना में देखता हूं। ये केस का टर्निंग प्वाइंट है। बहुत ऐतिहासिक फैसला है। एक सरकार ने अपनी पावर का दुरुपयोग करते हुए हिंदुओं की पूजा पाठ रोकी थी, आज कोर्ट ने उसे अपनी कलम से सुधारा है।"
1993 तक ज्ञानवापी के तहखाने के मंदिर में होती थी पूजा
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कोर्ट के फैसले पर खुश व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "आज काशी की अदालत ने बहुत महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। इससे विश्व के सभी हिंदुओं का हृदय आनंद से भर गया है। ज्ञानवापी ढांचे के तहखाने के दक्षिण भाग में एक मंदिर स्थित है। 1993 तक उस मंदिर में भगवान की पूजा होती थी। 1993 में वहां बाड़ लगा दी गई, जाना-आना बंद कर दिया गया। अन्यायपूर्वक हिंदुओं को वहां पूजा के अधिकार से वंचित कर दिया गया था।"
उन्होंने कहा, "इस बात के लिए मुकदमा किया गया। थोड़े समय पहले ही वादी (हिंदू पक्ष) की प्रार्थना पर कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट को उस जगह की सुरक्षा का जिम्मा दिया था। उस आदेश में पूजा-अर्चना के बारे में कुछ लिखा नहीं था तो वादी फिर से कोर्ट में गए। हमको बहुत खुशी है कि कोर्ट ने ये कहा कि वादी और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट मिलकर एक पुजारी की नियुक्ति कर लें। वो पुजारी भगवान की नियमित पूजा करे। हम इसमें भविष्य की आहट देखते हैं। हमें उम्मीद है कि इस फैसले के बाद पूरे ज्ञानवापी परिसर के मुकदमे का फैसला जल्दी हो। हम सब लोग प्रमाणों और तर्क के आधार पर आश्वस्त हैं कि वो फैसला हिंदुओं के पक्ष में आएगा।"
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बता दें कि गोरखपुर के जेएम पांडे पहले जस्टिस थे, जिनके आदेश पर पूजा के लिए राम मंदिर का ताला खोला गया था। वाराणसी कोर्ट का यह आदेश चार महिला वादी द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के सीलबंद हिस्से की खुदाई और सर्वे की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के कुछ दिनों बाद आया है। हिंदू पक्ष के अनुसार ASI (Archaeological Survey of India) की रिपोर्ट से पता चला है कि ज्ञानवापी मस्जिद बनाए जाने से पहले यहां बड़ा हिंदू मंदिर था।
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