
लखनऊ की सर्द सुबहों में इस बार सिर्फ ठंडी हवा नहीं, बल्कि राजनीतिक हलचल की आहट भी महसूस की जा रही है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी संगठनात्मक चुनावों का आखिरी दौर शुरू हो चुका है, और इसी के साथ पार्टी के ‘नए कप्तान’ के चयन की उल्टी गिनती भी। 2027 के बड़े मुकाबले से पहले यह चुनाव सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करेगा। ओबीसी समीकरणों पर फोकस, टिकट बंटवारे की हवा, और राजधानी लखनऊ में बढ़ती गतिविधियां इसे और दिलचस्प बना रही हैं।
बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष चुनाव की औपचारिक तारीखें घोषित कर दी हैं।
राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक होंगे। यदि एक ही नाम आता है, तो अध्यक्ष का चयन सर्वसम्मति से हो जाएगा। लेकिन अगर एक से अधिक नामांकन दाखिल होते हैं, तो प्रांतीय परिषद उसी दिन वोटिंग करेगी और तुरंत परिणाम घोषित होंगे।
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बीजेपी ने संगठन पर्व के तहत प्रांतीय परिषद के सदस्यों की सूची जारी की है। इनमें कई बड़े और प्रभावशाली नाम शामिल हैं:
ये सभी सदस्य प्रदेश अध्यक्ष के चयन में मतदान करेंगे। कुल 403 विधानसभा क्षेत्रों से चुने गए लगभग 400 सदस्य इस प्रक्रिया का हिस्सा हैं।
पार्टी की परंपरा के तहत पहले सर्वसम्मति बनाने की कोशिश की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी नामांकन के प्रस्तावक बन सकते हैं। यदि सहमति नहीं बनी, तभी वोटिंग होगी।
2024 लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी की सीटें 62 से घटकर 33 रह गईं। पार्टी इसे ओबीसी वोटों के बड़े खिसकाव के रूप में देखती है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष वही होगा जो ओबीसी समाज में मजबूत पकड़ रखता हो। संभावित नामों में शामिल हैं:
इनमें पंकज चौधरी और बीएल वर्मा की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है।
बीजेपी का संगठन पर्व नवंबर 2024 से चल रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों का भी चयन होगा, जो आगे राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव को प्रभावित करेंगे।
नामांकन से पहले शीर्ष नेतृत्व की बैठक लखनऊ में होगी। माना जा रहा है कि यहीं पर नाम पर अंतिम सहमति बन सकती है। पीयूष गोयल और विनोद तावड़े शनिवार को लखनऊ पहुंचेंगे। इसी बीच मौजूदा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की पीएम मोदी से मुलाकात ने संकेतों की राजनीति को और तेज कर दिया है।
एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, “यह केवल अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं, बल्कि 2027 की रणनीति की आधारशिला है। नया अध्यक्ष पूरे संगठन को नई ऊर्जा देगा।” यदि सर्वसम्मति बन गई, तो 14 दिसंबर को ही नया अध्यक्ष सामने आ जाएगा। पूरा उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेता इस चुनाव पर निगाहें जमाए हैं।
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