
BrahMos Missile : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने यूपी की राजधानी लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट (BrahMos Missile Unit Lucknow) का वर्चुअली इनॉगरेशन किया। यह यूनिट लखनऊ से 30 किमी दूर भटगांव में है। इसे 300 करोड़ की लागत से बनाया गया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दिसंबर 2021 में ब्रह्मोस प्रोजेक्ट के लिए 80 हेक्टेयर भूमि आवंटित की थी। यह यूनिट सिर्फ साढ़े तीन साल में ही तैयार हो गई है। इससे 3,000 लोगों को नौकरियां मिलेंगी। ब्रह्मोस एयरोस्पेस DRDO और रूस की सरकारी कंपनी एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (NPOM) का जॉइंट वेंचर है। यह देश का पहला ऐसा डिफेंस जॉइंट वेंचर है, जो किसी विदेशी सरकार के साथ मिलकर हुआ है। इसमें इंडिया की हिस्सेदारी 50.5% और रूस की 49.5% है। बता दें कि BrahMos भारत की सबसे तेज और खतरनाक मिसाइल है, जो महज 3 मिनट में किसी भी दुश्मन को खत्म कर सकती है। इसकी स्पीड, सटीकता और रेंज से दुनिया दंग है। जानिए इसकी 5 सबसे बड़ी ताकत...
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे जमीन, एयरक्राफ्ट, पनडुब्बी या शिप कहीं से भी लॉन्च किया जा सकता है। मतलब दुश्मन कहीं भी छिपा हो, बच नहीं सकता। इसका नाम दो नदियों के नाम पर है ब्रह्मपुत्र (भारत) और मोस्कवा (रूस)।
ब्रह्मोस को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस की NPO Mashinostroyenia ने मिलकर बनाया है, लेकिन इसकी असेंबली और अपग्रेड भारत में ही होती है। इसकी टारगेटिंग काफी ज्यादा एक्युरेट है।
BrahMos मिसाइल की स्पीड इतनी तेज है कि दुश्मन को सोचने का वक्त भी नहीं मिलता। Mach 3 की रफ्तार से उड़ने वाली ये मिसाइल पल में टारगेट को तबाह कर देती है। जमीन या समुद्र से छोड़े जाने पर ब्रह्मोस 290-400 किमी रेंज में मैक 2 स्पीड से (2,500 किलोमीटर प्रति घंटे) की स्पीड से अपने टारगेट को साफ कर सकती है।
ब्रह्मोस मिसाइल रूस की P-800 ओकिंस क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है। ये मिसाइल भारतीय सेना के तीनों विंग आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के पास है। इसमें सिकर टेक्नोलॉजी है, जो बिना GPS के भी टारगेट तक पहुंचती है। इलेक्ट्रॉनिक जामिंग भी इसे रोक नहीं सकता है।
पनडुब्बी से ब्रह्मोस को पानी के अंदर 40-50 मीटर गहराई से भी दागा जा सकता है। इसकी टेस्टिंग साल 2013 में हुई थी। इतनी तेज स्पीड और लो-लेवल उड़ान के चलते ब्रह्मोस की ताकत काफी ज्यादा है। यही वजह है कि दुश्मन देश इससे खौफ खाते हैं।
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