बिलकुल भी न छोड़ें साल का ये अद्भुत नजारा, जानिए UP में कहां-कब दिखेगा लाल चंद्रमा

Published : Sep 07, 2025, 07:18 PM IST
chandra grahan 2025 from up lucknow gorakhpur

सार

साल 2025 का आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात लखनऊ, गोरखपुर समेत यूपी के शहरों में दिखाई देगा। रात 9:58 बजे शुरू होकर 1:26 बजे तक चलेगा। ब्लड मून का अद्भुत दृश्य और सूतक काल की जानकारी यहां जानें।

Chandra Grahan Blood Moon 2025: साल 2025 का सबसे बड़ा खगोलीय नजारा आज रात यूपी की धरती से भी दिखाई देने वाला है। 7 सितंबर की रात को लगने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण यानी ‘ब्लड मून’ हर किसी के लिए खास बनने जा रहा है। आसमान में जब चांद पूरी तरह लालिमा ओढ़ लेगा, तो यह नजारा देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देगा।

यूपी में कहां-कहां दिखाई देगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण का नजारा

भारतीय समयानुसार चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात 9:58 बजे शुरू होगा और 8 सितंबर की रात 1:26 बजे खत्म होगा। उत्तर प्रदेश में यह खगोलीय दृश्य लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, नोएडा और गाजियाबाद जैसे बड़े शहरों में साफ-साफ नजर आएगा। आसमान साफ रहा तो लोग इस अद्भुत ब्लड मून को बिना किसी उपकरण के अपनी आंखों से देख सकेंगे।

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ब्लड मून के अद्भुत क्षण को रात 11:42 बजे देखें लाइव

ग्रहण का चरम चरण रात 11:42 बजे होगा, जब चांद पूरी तरह से लालिमा में ढका दिखाई देगा। यह पल न सिर्फ खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए खास होगा, बल्कि आम लोग भी इसे लंबे समय तक याद रखेंगे।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कब से कब तक रहेगा सूतक काल

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले, यानी दोपहर 12:57 बजे से शुरू होकर 8 सितंबर की रात 1:27 बजे तक चलेगा। इस दौरान पूजा-पाठ, भोजन पकाना और शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और अगले दिन स्नान-ध्यान के बाद पूजा-अर्चना दोबारा होगी।

विज्ञान की नजर से क्यों लाल दिखाई देता है चंद्रमा?

वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्लड मून तब बनता है जब सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती है और चंद्रमा पर पड़ती है। इस दौरान नीली रोशनी बिखर जाती है और लालिमा चांद तक पहुंचती है। इसी वजह से ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल, नारंगी या तांबे जैसी आभा लिए दिखाई देता है।

खास संयोग: पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से और समापन सूर्य ग्रहण से

ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल का यह ग्रहण बेहद खास है क्योंकि 21 सितंबर को महालया अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी लगेगा। इस तरह पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से और समाप्ति सूर्य ग्रहण से होना दुर्लभ खगोलीय संयोग है।

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