
Changur ATS remand: उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण का बड़ा नेटवर्क चलाने वाले जलालुद्दीन उर्फ छांगुर और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को अब यूपी एटीएस की सात दिन की रिमांड पर रखा गया है। पूछताछ के पहले ही दिन छांगुर ने 15 साल से धर्मांतरण में शामिल होने की बात कबूली है। यह गिरोह लखनऊ के विकासनगर स्थित एक होटल के कमरे से नेटवर्क संचालित करता था। ATS ने गोसाईगंज जेल से दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
छांगुर ने स्वीकार किया कि जब उस पर शिकंजा कसना शुरू हुआ, तब वह अपनी साथी नीतू के साथ बलरामपुर से भागकर लखनऊ के विकासनगर स्थित 'होटल स्टार रूम्स' में आकर रुका। यहां उन्होंने लगातार दो महीने तक होटल के कमरों से ही धर्मांतरण का संचालन किया। छांगुर अधिकतर समय कमरे में ही रहता था, ताकि शक न हो। होटल स्टाफ के अनुसार, वह बाहर कम ही निकलता था और अक्सर कुछ खास लोगों से बंद कमरे में मुलाकात करता था।
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16 अप्रैल को पहले नीतू होटल में आई, फिर कुछ घंटे बाद छांगुर भी पहुंचा। दोनों ने आधार कार्ड के जरिए कमरा लिया, जिसमें नीतू ने अपना नाम “नीतू नवीन रोहरा” बताया। स्टाफ को दोनों पति-पत्नी लगे, लेकिन उम्र का अंतर देखकर उन्हें शक हुआ। पांच दिन बाद उन्होंने कमरा नंबर 102 छोड़कर 105 नंबर कमरा ले लिया। इस दौरान एक वकील भी छांगुर से मिलने आया था, जिसकी जानकारी होटल कर्मियों ने एटीएस को दी है।
उधर, उतरौला कोतवाली क्षेत्र के मधपुर में स्थित छांगुर की आलीशान कोठी का सच भी सामने आ गया है। यह कोठी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके बनाई गई थी, जिसकी कुल क्षेत्रफल लगभग 5000 वर्ग फीट है। प्रशासन ने तीन दिन की कार्रवाई के बाद इस अतिक्रमण को ढहा दिया।
लोक निर्माण विभाग अब इस अवैध निर्माण की वित्तीय हानि का आकलन करेगा और पूरा खर्च नीतू उर्फ नसरीन से वसूला जाएगा।जानकारी के मुताबिक, छांगुर ने धर्मांतरण के बाद इस ज़मीन को नीतू के नाम किया और एक हिस्से में दो मंजिला इमारत बनवाई, जबकि दूसरे हिस्से को "अस्पताल" के नाम पर खाली रखा गया था।
ATS के अनुसार, छांगुर अब धीरे-धीरे नेटवर्क से जुड़ी जानकारी देना शुरू कर रहा है। पूछताछ के दौरान जब संतोषजनक जवाब नहीं मिले तो ATS अधिकारियों ने पहले से जुटाए गए डिजिटल साक्ष्यों के साथ जब सवाल किए, तब जाकर छांगुर ने कबूलनामे शुरू किए।
इस रिमांड के दौरान ATS को छांगुर और नीतू से उन NGO नेटवर्क्स, हवाला ट्रांजैक्शन्स, और विदेशी फंडिंग के बारे में और सबूत मिलने की उम्मीद है जिनके जरिए यह रैकेट 15 सालों से फल-फूल रहा था।
जलालुद्दीन उर्फ छांगुर और नीतू उर्फ नसरीन अब ATS की हिरासत में हैं, और शुरुआती पूछताछ में ही इस गिरोह के कई खतरनाक और सोची-समझी साजिशों का पर्दाफाश हुआ है। होटल में छिपकर धर्मांतरण का संचालन करना, सरकारी ज़मीन पर कब्जा कर अवैध कोठी बनवाना, और फर्जी पहचान से रहना, ये सब बताता है कि यह नेटवर्क सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक संगठित साजिश का हिस्सा है।
ATS की रिमांड में अब इस रैकेट की और परतें खुलना तय हैं, और आने वाले दिनों में कुछ और बड़े चेहरे भी बेनकाब हो सकते हैं।
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