कांवड़ में सास, कांधे पर जिम्मेदारी! सावन में बहू ने पेश की सेवा की मिसाल

Published : Jul 11, 2025, 12:48 PM ISTUpdated : Jul 11, 2025, 12:49 PM IST
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सार

kawad yatra 2025: हापुड़ की बहू आरती ने अपनी सास को कांवड़ में बैठाकर तीर्थयात्रा कराकर मिसाल कायम की है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में तीन पीढ़ियां साथ दिख रही हैं, जिससे लोगों की आंखें नम हैं।

Emotional kawad story: श्रवण कुमार की कहानी आपने जरूर सुनी होगी, जिन्होंने अपने वृद्ध माता-पिता को कंधों पर बैठाकर तीर्थ यात्रा करवाई थी। मगर अब कलयुग में एक ऐसी बहू सामने आई है, जिसने रिश्तों को नई ऊंचाई दी है। उत्तर प्रदेश के हापुड़ से आई इस कहानी ने हर किसी को भावुक कर दिया है। आरती नाम की यह बहू अपनी सास को कांवड़ में बैठाकर तीर्थ यात्रा पर निकली है। यह दृश्य न सिर्फ श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि सेवा और समर्पण की मिसाल भी बन गया है।

सास को कांवड़ में बैठाकर निकली बहू आरती, पोती भी साथ में

हापुड़ की रहने वाली आरती ने अपने बूढ़ी सास को गंगाजल स्नान कराते हुए कांवड़ यात्रा शुरू की। इस यात्रा में उनकी छोटी बेटी यानी सास की पोती भी साथ चल रही है। तीन पीढ़ियों का यह अद्भुत दृश्य लोगों का ध्यान खींच रहा है। आमतौर पर कांवड़ यात्रा में लोग अपने लिए गंगाजल लाते हैं, मगर आरती ने अपनी सास को इस अनुभव में सहभागी बनाकर जो किया, वो समाज में एक नई सोच को जन्म दे रहा है।

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सोशल मीडिया पर वायरल, बहू को मिल रही दुआएं

आरती की इस सेवा भावना ने इंटरनेट पर भी लोगों का दिल जीत लिया है। वीडियो वायरल हो चुका है और सोशल मीडिया पर लोग उसे ‘कलयुगी श्रवण कुमार’ कहकर सम्मान दे रहे हैं। आरती बताती हैं कि उन्हें यह विचार भगवान शिव की कृपा से आया। उन्होंने महसूस किया कि जैसे वे खुद गंगा स्नान से पुण्य अर्जित करना चाहती हैं, वैसे ही उनकी सास को भी यह सुख मिलना चाहिए।

सास ने जताया गर्व, कहा, ऐसी बहू सबको मिले

शुरुआत में सास को इस बात पर यकीन नहीं था कि आरती उन्हें इतनी दूर लेकर जा सकेगी। लेकिन जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ी, उनका भरोसा गहराता गया। अब वे अपनी बहू पर गर्व महसूस कर रही हैं। रिश्तों में अक्सर बहू-सास के तनाव की खबरें आती हैं, लेकिन इस घटना ने यह दिखाया कि जहां नीयत साफ हो, वहां सेवा खुद ही पूजा बन जाती है।

11 जुलाई से शुरू हो रहा सावन, भक्ति का महीना

गौरतलब है कि 11 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है, जो शिवभक्तों के लिए बेहद खास होता है। कांवड़ यात्रा इसी भक्ति भावना का प्रतीक है। इसमें आस्था के साथ सख्त नियम भी होते हैं, जैसे कांवड़ उठाने से पहले स्नान, नशा और मांसाहार से दूरी, और पूरे रास्ते शिव मंत्रों का जाप।

जानिए कौन-कौन सी होती हैं कांवड़ यात्राएं

कांवड़ यात्रा कई तरह की होती है, सामान्य कांवड़, डाक कांवड़, खड़ी कांवड़, दांडी कांवड़ और झूला कांवड़। लोग अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार कांवड़ का चयन करते हैं। आरती ने जिस प्रकार अपने परिवार को इस यात्रा का हिस्सा बनाया है, वह इस बात का उदाहरण है कि भक्ति सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, सामूहिक और पारिवारिक भी हो सकती है।

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