
गोरखनाथ मंदिर प्रांगण मंगलवार को एक बार फिर आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बना, जब हजारों श्रद्धालुओं ने युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की पुण्यतिथियों पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संत परंपरा, राष्ट्र निर्माण और समाज सेवा की धारा को आगे बढ़ाने वाले अपने पूर्वाचार्यों के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्तम कृति है। यदि कोई व्यक्ति अयोग्य है तो इसका कारण है कि उसे सही मार्गदर्शक नहीं मिला। उन्होंने संस्कृत श्लोक “अमन्त्रमक्षरं नास्ति...” का उल्लेख करते हुए कहा कि जैसे हर अक्षर में मंत्र बनने की क्षमता होती है और हर वनस्पति में औषधीय गुण होते हैं, वैसे ही हर व्यक्ति योग्य होता है, बशर्ते उसे सही गुरु मिल जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ ने इसी भूमिका का निर्वहन करते हुए समाज और राष्ट्र को नई दिशा दी।
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योगी आदित्यनाथ ने संत जीवन के आदर्शों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “साधु अकेला होता है। उसका परिवार समाज है, राष्ट्र उसका कुटुंब और उसकी जाति केवल सनातन होती है।” उन्होंने बताया कि गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतों के संकल्प सिर्फ संकल्प नहीं बल्कि साधना थे, और उसी का परिणाम है कि आज अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण संभव हुआ।
सीएम योगी ने याद दिलाया कि महंत दिग्विजयनाथ का जन्म मेवाड़ की उस वीर परंपरा में हुआ था, जिसने कभी विदेशी आक्रांताओं के आगे घुटने नहीं टेके। वे महाराणा प्रताप की परंपरा से गोरखपुर आए और यहां समाज-राष्ट्र के उत्थान के लिए शिक्षा, सेवा और धर्मोन्नयन का अद्वितीय कार्य किया।
योगी ने कहा कि गोरखनाथ मंदिर के भव्य स्वरूप के शिल्पी महंत दिग्विजयनाथ थे। उन्होंने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की और गोरखपुर विश्वविद्यालय की नींव रखने के लिए अपने डिग्री कॉलेज दान कर दिए। उन्होंने नारी शिक्षा को विशेष महत्व दिया और बालिका विद्यालय स्थापित कर समाज को नई दिशा दी।
सीएम योगी ने कहा कि दोनों महंतों ने गुलामी के प्रतीकों को हटाने का संकल्प लिया था। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण उनका सपना और संकल्प दोनों था, जो आज साकार हो चुका है।
मुख्यमंत्री योगी ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत” मंत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल राजनीतिक संकल्प नहीं, बल्कि भारत और भारतीयता का शाश्वत मंत्र है। कार्यक्रम में सीएम योगी ने आचार्य प्रो. ओंकारनाथ सिंह की पुस्तक ‘भारतीय संस्कृति की आत्मसाती प्रकृति’ और ‘विमर्श’ पत्रिका का विमोचन किया। समारोह में गोरक्षपीठ की परंपराओं के अनुरूप वेदपाठ, स्तोत्र और सरस्वती वंदना की प्रस्तुति भी हुई
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