रामचरितमानस पर टिप्पणी: स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से सपा ने बनाई दूरी, शिवपाल बोले- हम राम-कृष्ण के आदर्शों पर चलने वाले लोग

स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से रामचरितमानस को लेकर की गई टिप्पणी पर शिवपाल यादव का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि हम राम और कृष्ण के आदर्शों को मानने वाले लोग है।

Contributor Asianet | Published : Jan 24, 2023 8:49 AM IST

इटावा: स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें कम होती दिखाई नहीं पड़ रही हैं। राजनीतिक दलों और साधु संतों की नाराजगी के बाद अब उनकी पार्टी ने भी दूरी बनानी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में शिवपाल यादव ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य से किनारा कर लिया है। स्वामी प्रसाद की ओर से की गई बयानबाजी को निजी बयान बताया गया है। शिवपाल यादव ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने जो भी कुछ कहा वह उनका व्यक्तिगत विचार है। पार्टी का उनके बयान से कोई भी लेना-देना नहीं है। हम लोग राम-कृष्ण के आदर्शों पर चलने वाले लोग हैं।

'हम लोग प्राण जाए पर वचन न जाए का करते हैं पालन'

आपको बता दें कि शिवपाल यादव से पहले सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ने स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी की उनका निजी बयान बताया था। इसके बाद अब शिवपाल यादव ने भी खुद को इस प्रकरण से दूर कर लिया है। ज्ञात हो कि बीजेपी और तमाम हिंदू धर्मगुरुओं के द्वारा स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को लेकर नाराजगी जाहिर की जा रही है। इस बीच सपा की ओर से मामले को लेकर पार्टी की छवि को साफ देखाने का प्रयास भी किया जा रहा है। इसी कड़ी में शिवपाल यादव का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि हम लोग राम और कृष्ण के आदर्शों पर चलने वाले लोग है। हम लोग प्राण जाए पर वचन न जाए का पालन करते हैं। इस बीच शिवपाल यादव ने बीजेपी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि क्या बीजेपी भगवान के आदर्शों पर चल रही है। भगवान कभी भी झूठ नहीं बोलते थे और बीजेपी के लोग सिर्फ झूठ बोलने का काम कर रहे हैं। वह भगवान को भी बेच रहे हैं। वहीं अखिलेश यादव भी स्वामी प्रसाद के इस बयान से नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि अभी तक उन्होंने कोई बयान नहीं दिया है।

 

धर्मगुरुओं की ओर से जताई गई नाराजगी

गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से रामचरितमानस की चौपाईयों को लेकर सवाल उठाए गए थे। इन्हीं चौपाईयों को लेकर स्वामी प्रसाद ने यहां तक कह दिया था कि रामचरितमानस पर बैन लगा देना चाहिए। इस मामले के बाद हिंदू धर्मगुरुओं के साथ ही मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी नाराजगी जाहिर की थी। सभी के द्वारा स्वामी प्रसाद मौर्य से बयान वापस लिए जाने की मांग की गई थी।

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