
अयोध्या, 19 अक्टूबर। दीपों की अनगिनत पंक्तियों से सजी अयोध्या रविवार की शाम ऐसी जगमगा उठी, मानो त्रेता युग फिर से धरती पर उतर आया हो। रामकथा पार्क में भगवान श्रीराम और माता सीता के अवतरण और राज्याभिषेक का दृश्य लाखों श्रद्धालुओं के लिए अविस्मरणीय बन गया।
जैसे ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान श्रीराम के रथ को खींचना शुरू किया, पूरा परिसर “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा। सीएम योगी के नेतृत्व में हुए नौवें दीपोत्सव में संतों ने राम दरबार पर पुष्प वर्षा की। इसके बाद मुख्यमंत्री ने संतों का वस्त्र और माल्यार्पण कर स्वागत किया। पुष्पक विमान के उतरते ही श्रद्धालु जय श्रीराम के उद्घोष से वातावरण को भक्तिमय बना रहे थे।
पुष्पवर्षा और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरु वशिष्ठ के साथ श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान की पूजा-अर्चना की, तो मानो त्रेता काल सजीव हो उठा। स्वर्ण सिंहासन, रथ, अश्व और सजी हुई राजसभा ने रामराज्य की झलक प्रस्तुत की।
मुख्यमंत्री ने सबसे पहले भगवान राम, लक्ष्मण, माता सीता और हनुमान जी को माला पहनाई। इसके बाद श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान रथ पर सवार हुए। मुख्यमंत्री ने स्वयं रथ को खींचकर आगे बढ़ाया, जिसमें संतों ने भी उनका सहयोग किया। इसके बाद सीएम योगी ने भगवान श्रीराम की आरती कर प्रतीकात्मक राज्याभिषेक किया और आशीर्वाद लिया।
मुख्यमंत्री के बाद कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जयवीर सिंह और राकेश सचान ने मंच पर पहुंचकर राम दरबार का पूजन-अर्चन किया। इस अवसर पर राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, संत-महंत, जनप्रतिनिधि और भाजपा पदाधिकारी उपस्थित रहे।
रामकथा पार्क से लेकर राम की पैड़ी, धर्मपथ, लता चौक और हनुमानगढ़ी तक दीपों की अनगिनत पंक्तियाँ झिलमिला उठीं। पूरा नगर दिव्य आलोक से नहाया हुआ नजर आया। हर गली और घाट जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज रहे थे। श्रद्धालु दीप जलाते, भक्ति गीत गाते और इस अद्भुत दृश्य को अपने कैमरों में कैद करते नजर आए।
दीपोत्सव 2025 ने न केवल नया विश्व रिकॉर्ड बनाया बल्कि “अयोध्या मॉडल” के रूप में एक नई पहचान भी स्थापित की। यहां सुरक्षा, स्वच्छता, अनुशासन और श्रद्धा का सुंदर संगम देखने को मिला। आस्था, संस्कृति और आधुनिकता के इस संतुलन ने अयोध्या को विश्व पटल पर विशेष स्थान दिलाया।
जब दीपों से संपूर्ण अयोध्या जगमगा उठी, तो लगा मानो देवता स्वयं अयोध्या को सजाने उतर आए हों। रामकथा पार्क से सरयू तट तक फैला यह मनमोहक दृश्य हर दर्शक के मन में स्थायी छाप छोड़ गया। दीपोत्सव 2025 ने सिद्ध किया कि अयोध्या केवल एक नगर नहीं, बल्कि जीवंत आस्था की ज्योति है, जो सदा मानवता को प्रकाश देती रहेगी।
कार्यक्रम का सबसे भावविह्वल पल तब आया जब भरत मिलाप का मंचन हुआ। जैसे ही भरत ने श्रीराम के चरणों में सिर झुकाया, श्रीराम ने उन्हें गले लगा लिया। क्षणभर के लिए पूरा वातावरण स्तब्ध हो गया और फिर जय श्रीराम के गगनभेदी नारे गूंज उठे। श्रद्धालुओं की आंखों से आंसू छलक उठे, मानो रामायण का दृश्य प्रत्यक्ष हो उठा हो।
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