
लखनऊ की हल्की सर्द सुबह में, जब ज्यादातर लोग रोजमर्रा की भागदौड़ में व्यस्त थे, तब राज्य के सैकड़ों कोनों में कुछ महिलाएं ऐसी भी थीं, जो पहली बार कंप्यूटर का माउस पकड़ रही थीं, पहली बार सरकारी वेबसाइट को खुद से नेविगेट कर रही थीं और पहली बार महसूस कर रही थीं कि तकनीक अब दूरी नहीं, बल्कि उनका सहारा बन गई है। यह बदलाव अचानक नहीं आया, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उन नीतियों का परिणाम है, जिन्होंने दिव्यांग महिलाओं के लिए विकास की राह को न केवल सुगम बनाया, बल्कि पहले से कहीं अधिक समान और सशक्त भी।
लखनऊ, 29 नवंबर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में दिव्यांग महिलाओं के सशक्तिकरण को नई दिशा मिली है। केंद्र सरकार की 'सुगम्य भारत अभियान' और ‘डिजिटल इंडिया’ की संयुक्त पहल ने प्रदेश की दिव्यांग महिलाओं को डिजिटल, आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं योगी सरकार के समावेशी कार्यक्रमों ने इनके जीवन में ठोस बदलाव लाया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 में कार्यभार संभालते ही दिव्यांगजनों के लिए 4 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को प्रभावी रूप से लागू किया। इससे न केवल रोजगार की राह खुली, बल्कि प्रदेश में 3 लाख से अधिक सरकारी नौकरियों में दिव्यांगजनों की नियुक्ति सुनिश्चित हुई, जिनमें महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही।
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2017 से पहले दिव्यांगजनों की हालत थी चिंताजनकप्रदेश में 2017 से पहले दिव्यांगजनों के लिए अवसर बेहद सीमित थे। 1995 के अधिनियम के आधार पर मात्र 3 प्रतिशत आरक्षण होने से बड़ी संख्या में दिव्यांग नौकरी और अवसरों से वंचित थे। लेकिन योगी सरकार ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 को लागू कर 4 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया, जिससे रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े। दिव्यांग महिलाओं के लिए यह सुधार ऐतिहासिक रहा। प्रदेश में रोजगार और शिक्षा के अवसर बढ़ने से हजारों महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनते हुए नजर आईं।
पिछली सरकारों में दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था बिखरी हुई थी। लेकिन योगी सरकार ने हर जिले में विशेष स्कूलों को मजबूत किया। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 1403 विशेष विद्यालय संचालित हैं, जिनमें 50 प्रतिशत नामांकन दिव्यांग लड़कियों का है। ये स्कूल केवल पारंपरिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि डिजिटल स्किल्स, मोबाइल एप्स ट्रेनिंग और ऑनलाइन लर्निंग जैसी सुविधाएं भी प्रदान कर रहे हैं।
चित्रकूट जिले का उदाहरण इसका प्रमाण है, जहां विशेष विद्यालयों में दिव्यांग लड़कियां अब ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से आईटी और डिजिटल कोर्स कर रही हैं। जो कभी उनके लिए दूर का सपना था, आज वह वास्तविकता बन चुका है।
दिव्यांगजनों की सबसे बड़ी समस्या सुगम्यता थी। केंद्र का सुगम्य भारत अभियान 2015 में शुरू हुआ, लेकिन उत्तर प्रदेश में सालों तक यह धीमी गति से चला। कई सरकारी भवनों में रैंप, ब्रेल साइनेज और लिफ्ट जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। योगी सरकार ने इस दिशा में तेजी से कार्य किया और आज: 278 सरकारी भवनों में से 271 भवन पूर्णतः दिव्यांग फ्रेंडली बनाए जा चुके हैं।
इनमें व्हीलचेयर एक्सेस, रैंप, ब्रेल बोर्ड, वॉयस-असिस्टेड सिस्टम जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं।
डिजिटल एक्सेस को प्राथमिकता देते हुए प्रदेश सरकार ने: 44 सरकारी वेबसाइट्स को WCAG-2.1 स्टैंडर्ड के तहत रीडिजाइन किया है। इससे दृष्टिबाधित महिलाओं को स्क्रीन रीडर के माध्यम से योजनाओं की जानकारी और सेवाओं तक पहुंच आसान हुई है। सीएम योगी का लक्ष्य 2026 तक प्रदेश की सभी दिव्यांग महिलाओं को डिजिटल रूप से सक्षम बनाना है, ताकि वह किसी भी सरकारी सेवा से वंचित न रहें।
सरकार के समग्र प्रयासों से आज उत्तर प्रदेश में:
दिव्यांग महिलाओं के सशक्तिकरण की यह यात्रा उत्तर प्रदेश के समावेशी विकास मॉडल का एक मजबूत उदाहरण बन चुकी है।
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